For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(आदरणीय सौरभ पाण्डेय के पितृ-शोक  पर एक हार्दिक  संवेदना )

पहले संदर्भ प्रसंग सहित इस जगती में परिभाषित कर 

फिर हो जाते हैं हाथ दूर जीवन का दीप प्रकाशित कर

.

देते  हैं  वे  सन्देश  हमें

हर दीपक को बुझ जाना है

पर ज्योति-शेष रहते-रहते

शत-शत नव दीप जलाना है

फैलायी जो रेशमी रश्मि उसको अब रंग-विलासित कर

पहले संदर्भ प्रसंग सहित......

.

है  सहज  रोप  देना पादप

तप है उसको जीवित रखना

करना पुष्पित-पल्लवित फलित  

वर्जित पर आशा-फल चखना  

जिसका विश्वास न हो जग को प्रिय ऐसा कुछ प्रत्याशित कर

पहले संदर्भ प्रसंग सहित.....

.

जिस पथ पर सिखलाया चलना

उस पर अभियान रचूंगा मैं

हो तात ! यशस्वित देवलोक

ऐसी  संसृति  विरचूंगा  मैं

सुधियों को सहज सहेजूंगा श्रृद्धा से सरस सुवासित कर

पहले संदर्भ प्रसंग सहित.....

.

जो कुछ जैसा पाया पावन

उसका प्रतिदान नहीं होता  

स्वर जब हो जाये छिन्नतार

तब कलरव गान नही होता

भावों को मानस है मथता अंतर में ही उद्भासित कर

पहले संदर्भ प्रसंग सहित....

क्षण  भर  में अंतर्धान हुए  

तुम उत्तरीय को झिटक पिता

स्तब्ध शांत हम देख रहे

धू-धू कर जलती हुयी चिता

मिलने आयेंगे एक दिवस अपने सब कर्म सितासित कर

पहले संदर्भ प्रसंग सहित....

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 28, 2016 at 1:26am

इस मार्मिक श्रद्धांजली हेतु हार्दिक आभार सर....

Comment by TEJ VEER SINGH on January 23, 2016 at 6:03pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी !आपने बहुत सुंदर और मार्मिक श्रद्धांजली अर्पित की है स्वर्गीय पुन्यात्मा को!हम सभी इस पावन कर्म में आपके साथ हैं!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 23, 2016 at 12:44pm
अभूतपूर्व उत्कृष्ट श्रद्धांजलि गीत के सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।
Comment by kanta roy on January 23, 2016 at 10:41am
मन बहुत ही क्लांत हुआ है अभी यह पढकर । पिता का पर्याय नहीं है इस जहाँ में । रिश्ते बहुत बनते है इस जहाँ में ,पिता तो बस एक ही है आसमान की तरह । पितृत्व का सम्बल बच्चे का अनंत विस्तार होता है ठीक उस आसमान स्वरूप पिता की तरह ।
बहुत ही संवेदनशील रचना की प्रस्तुति हुई है यहाँ आदरणीय डाॅ गोपाल नारायण जी । इस रचना को फीचर पोस्ट करने के लिये अभिनंदन आप सभी को । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service