For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिछले कई दिनों से घर में एक अजीब सी हलचल थीI कभी नन्हे दीपू को डॉक्टर के पास ले जाया जाता तो कभी डॉक्टर उसे देखने घर आ जाताI दीपू स्कूल भी नहीं जा रहा थाI घर के सभी सदस्यों के चेहरों से ख़ुशी अचानक गायब हो गई थीI घर की नौकरानी इस सब को चुपचाप देखती रहतीI कई बार उसने पूछना भी चाहा  किन्तु दबंग स्वाभाव मालकिन से बात करने की हिम्मत ही नहीं हुईI आज जब फिर दीपू को डॉक्टर के पास ले वापिस घर लाया गया तो मालकिन की आँखों में आँसू थेI रसोई घर के सामने से गुज़र रही मालकिन से नौकरानी ने हिम्मत जुटा कर पूछ ही लिया:
"बीबी जी! क्या हुआ है छोटे बाबू को ?"
"देखती नहीं कितने दिनों से तबीयत ठीक नहीं है उसकी?" मालकिन ने बेहद रूखे स्वर में कहा I
"मगर हुआ क्या है उसको जो ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा?" 
"बहुत भयंकर रोग है!" एक गहरी सांस लेते हुए मालिकन ने कहा I
"हाय राम! कैसा भयंकर रोग बीबी जी?" नौकरानी पूछे बिना रह न सकी I 
मालकिन ने अपने कमरे की तरफ मुड़ते हुए एक गहरी साँस लेते हुए उत्तर दिया:
"उसको भूख नहीं लगती रीI"  
मालकिन के जाते ही अपनी फटी हुई धोती से हाथ पोंछती हुई नौकरानी बुदबुदाई:               
"मेरे बच्चों के सिर पर भी अपने बेटे का हाथ फिरवा दो बीबी जी I"
----------------------------------------

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1240

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on June 9, 2018 at 10:39am

वाह! किसी के पास खाने को है तो उसे भूख नहीं लगती और किसी को भूख लगती है तो उसके पास खाने को नहीं है. इस लाजवाब लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए सर. सादर.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 4, 2016 at 9:11pm
इस रचना को पढ़कर गूगल के माध्यम से अपनी अत्यल्प जानकारी में 'बीबी' और 'बीवी' शब्दों के अंतर व प्रयोग समझने का मुझे सुअवसर मिला है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 4, 2016 at 9:05pm
नौकरानी द्वारा दबंग मालकिन से उनके बेटे दीपू संबंधित सवाल पूछने की हिम्मत कर पाना और फिर जाती हुई मालकिन के पीछे धीरे से वह तीखी पंचपंक्ति बुदबुदाना आम तौर पर घरों में यह परिदृश्य देखा गया है और मैंने भी बुदबुदाते नहीं, मालकिन के सामने ही ऐसी ततैया-डंक वाली बात स्पष्ट कहते हुए देखा है। इस बात को लघुकथा में कहने के लिए चुनना और इतनी बेहतरीन शिल्पबद्ध लघुकथा कहना एक लघुकथा-विशेषज्ञ की लेखनी द्वारा ही हो सकता है। तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी।
Comment by pratibha pande on June 4, 2016 at 8:23pm

पेट  की भूख के चलते ही सारे प्रपंच हैं  लगे तो भी मुश्किल ,ना लगे तो भी ,  लघु कथा कैसे कही जाए ,ये आपकी हर रचना सिखाती है हार्दिक बधाई और धन्यवाद आपको इस रचना के लिए आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 4, 2016 at 6:30pm

बहुत बेहतरीन लघु कथा हुई जहाँ एक और भूख न लगना भयंकर बीमारी समझकर सब परेशान हैं वहीँ दूसरी और एक गरीब बच्चों की भूख से परेशान है अंतिम पंच्च लाइन अन्दर तक झकझोरती है |हार्दिक बधाई आपको आ० योगराज जी 

Comment by Janki wahie on June 4, 2016 at 5:09pm
भूख पर बेहतरीन कथा।पञ्च पंक्ति लाज़वाब ।बहुत कुछ सिखा गई ।हार्दिक बधाईसर जी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2016 at 3:13pm

वाह सर | ऐसी  सोच भी हो सकती है लोगों की ! आपका जवाब नहीं | सादर |

Comment by Omprakash Kshatriya on June 2, 2016 at 12:41pm
आदरणीय भाई साहब, आप की अंतिम पंक्ति यानि पञ्च लाइन ने लघुकथा का कहा और अनकहा , सब कुछ व्यक्त कर दिया. सादर. बधाई इस जोरदार लघुकथा के लिए.
Comment by TEJ VEER SINGH on June 2, 2016 at 12:18pm

हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज भाई जी! एक परिवार के साधारण से मसले में से लघुकथा का इतना बेहतरीन अंकुरण! वाह, बहुत ही खूबसूरत अंदाज! आपकी सृजनशीलता को सलाम!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 2, 2016 at 8:47am
किसी किसी को भूख न लगने की बीमारी और करोड़ों को भूख लगने की। करोड़ों की चिंता कौन करे।
आज के आस-पास की एक जीती जागती कथा। सरल और सहज मगर गम्भीर प्रश्न उठाती हुई प्रस्तुति, बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service