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कुछ दोहे
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१.
केवल धन की चाह में,भूला खान व पान
आपा-धापी में सदा, पड़ा रहे इंसान।
२.
बुद्धिमान भी मूढ़ है,क्रोध चले जब जीत
पलभर में ही खत्म हो,वर्षों की सब प्रीत।
३.
सबको दें उपदेश जो,हो खुद उससे दूर
कोरी उस बकवास को,क्यों सब मानें नूर।
४.
पढ़े शास्त्र को बैठ कर,नीयत हो नापाक
बस झूठे ही ज्ञान से,फिरे जमाता धाक।
५.
ढाई आखर प्रेम के,रखते शक्ति अपार
वहाँ चली तलवार कब,जहाँ चला है प्यार।
६.
कलम उठा कर मैं लिखूँ, यह दोहा सन्देश
कृपा करें माँ शारदे,साथी हों सर्वेश!


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 27, 2016 at 1:10pm
आदरणीया अल्का चंद्रा जी सादर हार्दिक आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 12, 2016 at 12:17pm
श्रद्धेय सौरभ सर सादर नमन! मैं सतत प्रयत्नशील हूँ।आशा है कि शीघ्रता से से ही मैं कथ्य को भी सही रूप से प्रस्तुत करने में सफल होने लगूँगा।आपका प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन मेरे लिए अमूल्य है।सादर हार्दिक आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 8, 2016 at 11:59pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी कोशिशों से अपार खुशी होती है. आप सतत प्रयासरत रहें. 

दोहे समाज को अच्छी तरह से नैतिक और वैधानिक चेताव्नी देते हुए हैं. यह दोहों का नैसर्गिक स्वरूप है. या, इन्हीं भाव के सथ अधिकांश दोहे हुआ करते थे. वैसे अव समय बहुत बदल गया है.

यह अवश्य है कि अपनी प्रस्तुतियों की संप्रेषणीयता पर भी ज़ोर दिया करें. अन्यथा रचनाएँ जो कहना चाहती हैं वह अभिव्यक्त होने से रह जायेगा. इस विन्दु के बरअक्स आपके पिछले पोस्ट पर मैंने उदाहरण भी साझा किया था. 

प्रस्तुति और सहभागिता केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ ..

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 6:04pm

बहुत सुंदर  दोहे आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 5:01pm
सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा पांडे जी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 5:00pm
आदरणीया कल्पना दीदी प्रयास को पसंद कर हौंसला बढाने के लिए सादर हार्दिक आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 4:59pm
आदरणीय समर कबीर जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार एवं सादर नमन।
Comment by pratibha pande on September 8, 2016 at 11:59am

सुन्दर  दोहे ..आदरणीय लडीवाला जी द्वारा बताये  सुझाव भी अच्छे हैं..हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय सतविंदर जी   

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 10:53pm

सुंदर प्रयास हुआ है आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 10:35pm
जनाब सतविंदर कुमार जी आदाब,छंदों पर आपका अभ्यास चरम पर है ये देख कर ख़ुशी होती है,बहुत बढ़िया दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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