For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -तेरी ईंटें, न पत्थर हो के लौटें ( गिरिराज भंडारी )

तेरी ईंटें, न पत्थर हो के लौटें

1222   1222   122  

*****************************
ये रिश्ते भी न बदतर होके लौटें

तेरी ईंटें, न पत्थर हो के लौटें

 

ये चट्टानें , न ऐसा हो कि इक दिन

मैं टकराऊँ तो कंकर हो के लौटें

 

इसी उम्मीद में कूदा भँवर में

मेरे ये डर शनावर हो के लौंटें  

 

बनायें ख़िड़कियाँ दीवार में जब

दुआ करना, कि वो दर हों के लौटें

 

दिवारो दर, ज़रा सी छत औ ख़िड़की

मै छोड़ आया कि वो घर हो के लौटें

 

कुछ इक सूखी निगाहें ऐ ख़ुदा, मैं

रखूँ उम्मीद क्या , तर हो के लौटें ?


नहीं कुछ भी यक़ीं , पर भेजता हूँ

मेरे ये मसअले सर हो के लौटें

********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2016 at 12:06am

बहुत खूब आदरण्य गिरिराज भाईजी. अच्छी ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल कीजिये
शुभ-शुभ

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 8, 2016 at 11:52pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी, दाद कुबूल कीजिए

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 5:59pm

उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 8, 2016 at 11:03am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , गहरे विचारों वाली इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई , सादर।
Comment by Manan Kumar singh on September 8, 2016 at 10:57am
आदरणीय गिरिराज भाई,एक अच्छी गजल के लिए मुबारकवाद कबूल फरमायें,सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2016 at 10:52am

आदरणीय गिरिराज जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है, मुश्किल को ज़मीन को क्या खूब निभाया है आपने, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 10:15pm

उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 8:21pm

आदरणीय विनय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by विनय कुमार on September 7, 2016 at 7:10pm

//मै छोड़ आया कि वो घर हो के लौटें//, वाह वाह, बेहतरीन| बहुत बहुत बधाई इस शानदार ग़ज़ल के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 6:44pm

आदरणीय सतविन्द्र भाए , हौसका अफज़ाई का शुक्रिया आपका ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service