For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - कनखियों से एक वादा फिर हुआ

2122  2122  212

कनखियों से एक वादा फिर हुआ

हाँ, मुहब्बत का तकाजा फिर हुआ

 

हम तो समझे थे बहारें आ गयीं  

मौत का सामान ताजा फिर हुआ

 

उल्फतें बढ़ती रहीं यह देखकर  

इश्क का दुश्मन ज़माना फिर हुआ

 

रास बर्बादी मेरी आयी उन्हें

बाद मुद्दत मुस्कराना फिर हुआ

 

लौट आयेंगे सुना था एक दिन

किन्तु जीते जी न आना फिर हुआ

 

रूह रुखसत हो वहां उनसे मिली

और मंजर आशिकाना फिर हुआ 

 

आ गया मैं छोड़ जन्नत के मजे

लखनऊ मेरा ठिकाना फिर हुआ

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2016 at 2:09pm

आ० मनन कुमार जी , बहुत बहुत आभार

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2016 at 2:09pm

आ० विजय सर , आपका आशीर्वाद मिला  आभारी  हूँ   सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2016 at 2:07pm

आ० सुरेन्द्र नाथ सिंह -हार्दिक आभार

Comment by रामबली गुप्ता on October 9, 2016 at 8:46pm
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आद0 गोपाल नारायन जी। दिल से बधाई आपको।सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 9, 2016 at 8:05pm
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी बहुत खूब । खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 9, 2016 at 6:20pm

इस शानदार ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल कीजिए आदरणीय गोपाल नारायण जी

Comment by Samar kabeer on October 9, 2016 at 3:55pm
जनाब डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 9, 2016 at 10:49am
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल की हार्दिक बधाई।
Comment by Mahendra Kumar on October 9, 2016 at 7:11am

बहुत उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण जी। मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई!

Comment by Manan Kumar singh on October 9, 2016 at 5:02am
अच्छी गजल के लिए बधाई आपको आदरणीय!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service