कब वीरों की दग्ध चिता पर कब समाधि पर आओगे
कब सुख से सूखे लोचन पर करुणा के घन लाओगे
काले मन से कब छूटेगा
मोह श्वेत परिधानों का
कब तक आलंबन पाओगे
व्योम प्रवृत्त विमानों का
कब तक शोणित की सरिता में तुम निर्विघ्न नहाओगे
नश्वर देह सुरक्षित कितना
रक्षक के समुदायों से
दंभ भरा अस्तित्व बचेगा
कब तक कठिन उपायों से
मन के उजले संकेतों को कब तक तुम झुठलाओगे
झूठा नाटक कब तक मरने
वालों पर सविनय होगा
कब तक अधरों के फूलों से
मातम का अभिनय होगा
कब तक शव –पर्वत पर चढ़कर तुम परचम लहराओगे
बंद कर सकोगे कब तक तुम
मुख निर्मम सच्चाई का
छिपा सकेगा छद्म आचरण
कब तक कृत्य कसाई का
भारत के माथे पर कब तक काला तिलक लगाओगे
वमन करेगा कब अंतर्मन
युग-युग की संचित हाला
कब प्रकाश का पुंज धंसेगा
अंतस में बनकर ज्वाला
कब अपने अन्तर्यामी को जयमाला पहनाओगे
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
वाह | बहुत सुंदर रचना|
नश्वर देह सुरक्षित कितना
रक्षक के समुदायों से
दंभ भरा अस्तित्व बचेगा
कब तक कठिन उपायों से
मन के उजले संकेतों को कब तक तुम झुठलाओगे
झूठा नाटक कब तक मरने
वालों पर सविनय होगा
कब तक अधरों के फूलों से
मातम का अभिनय होगा
कब तक शव –पर्वत पर चढ़कर तुम परचम लहराओगे | बहुत खूब | हार्दिक बधाई सर |
काले मन से कब छूटेगा
मोह श्वेत परिधानों का
कब तक आलंबन पाओगे
व्योम प्रवृत्त विमानों का
कब तक शोणित की सरिता में तुम निर्विघ्न नहाओगे..............वाह ! वाह ! खूब फटकार लगायी है साहब.
आदरणीय डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर, एक सधे अंदाज में बहुत सुंदर ओज पूर्ण गीत रचना हुई है. बहुत-बहुत बधाई. सादर.
आदरनीय बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सुन्दर ओजपूर्ण गीत रचना हुई है , हृदय से बधाइयाँ आपको ।
बंद कर सकोगे कब तक तुम
मुख निर्मम सच्चाई का
छिपा सकेगा छद्म आचरण
कब तक कृत्य कसाई का
भारत के माथे पर कब तक काला तिलक लगाओगे
वमन करेगा कब अंतर्मन
युग-युग की संचित हाला
कब प्रकाश का पुंज धंसेगा
अंतस में बनकर ज्वाला
कब अपने अन्तर्यामी को जयमाला पहनाओगे
नमन नमन नमन सदर नमन सर आपकी इस ओजपूर्ण प्रस्तुति को ... अलंकृत शब्दों ने प्रस्तुति में जोश भर दिया है .... देश प्रेम से ओत-प्रोत इस प्रस्तुति के लिए पंक्ति दर पंक्ति ... शब्द दर शब्द दिल से बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब।
आ, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर बहुत सुंदर रचना हुई है बहुत बहुत बधाई आपको
आ. डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , बहुत सुन्दर सामयिक एवं सार्थक कुकुभ छंद के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें |
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