For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सपने फिर सजाऐं.......//डॉ० प्राची

साल इक जाए प्यास देकर,
साल इक आए आस लेकर,
संग हम इनके
खिलखिलाएं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...

कोई यादों की खिड़कियों से
आए औ' धड़कन मुस्कुरा दे,
बिन कहे कहने जब लगे वो
अपने दिल के सारे इरादे,

ऐसा इक मीठा सा तराना
अनसुना करने का बहाना,
छोड़ कर
धुन ये गुनगुनाएं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...

तोड़ कर बंधन रोज भागें
थाम कर उँगली कब चली हैं,
इनका अम्बर ही है ठिकाना
ख्वाहिशें कितनी मनचली हैं,

इनको उड़ने दें पंख लेकर,
सब दुआओं के शंख लेकर,
मन्नतें इनकी
अब उठाऐं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...

रूठ जाऐं तो ये मना ले
जाने क्यों फिर भी रूठती है,
छूट जाऐं तो थाम ले ये
थामते हैं तो छूटती है,

जैसे मिसरी की इक डली हो
ज़िन्दगी साँसों में घुली हो,
बाहों में इसकी
झूल जाऐं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 780

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 3:09pm

आदरणीया प्राची सिंह जी सुंदर गीत लिखा है आपने , नव वर्ष की शुभकामनाये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2017 at 1:55am

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी 

मन में कोई भी भाव लयात्मकता के साथ आए और उसे प्रयोगात्मक तरह से गीत में ढालने का ये एक प्रयास मात्र है 

इस गीत को मैंने वजन पर आधारित लिखा है 

मूल पंक्ति "आओ चलो सपने फिर सजाएं" को छोड़ कर 

२१२२२  २१२२ पूरे गीत में इसी वजन का निर्वहन करने का प्रयास किया है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 10:52pm

नए और बीते वर्ष को लेकर सुंदर गीत रचा है प्रिय प्राची जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 3, 2017 at 11:07pm
आदरणीया प्राची जी सुंदर गीत लिखा है आपने अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ इस गीत में मात्राओं का निर्धारण किस तरह किया गया है हर गीत अलग तरह का लगता है जिससे मैं दुबिधा की स्थिति में हूँ सादर प्रणाम के साथ
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 3, 2017 at 8:52pm
आदरणीया प्राची जी, सघन अनुभूतियों से परिपूर्ण इस मनभावन रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको।
Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 12:50pm
आद0 प्राची सिंह जी गीत पर बधाई आपको, नव वर्ष की शुभकामनाये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2017 at 10:06am

आदरणीया प्राची जी , नये और पुराने साल को ले कर बहुत अच्छी गीत रचना हुई है । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2017 at 11:47pm

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी, नए वर्ष और बीते वर्ष की सीमा पर खड़े होकर एक बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने। इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। सादर।

Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 9:42pm
आदरणीया प्राची जी, इस सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2017 at 2:14pm
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह साहिबा आदाब,सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक शिकायत है कि आप अपनी रचना पोस्ट करने के बाद उस पर आई प्रतिक्रया का जवाब नहीं देतीं ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service