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दीपक सा उजियार करोगे-रामबली गुप्ता

ग़ज़ल
22 22 22 22

जब जलना स्वीकार करोगे
दीपक-सा उजियार करोगे

स्नेह-समर्पण शस्त्र अगर हों
हर दिल पर अधिकार करोगे

दुर्ग दिलों के जीत सके तो
जय सारा संसार करोगे

दिल में दर्प बढ़ा दानव-सा
उसका कब संहार करोगे

राष्ट्र-हितों पर मिट न सके तो
जीवन यह बेकार करोगे

दिल पर रखकर हाथ बता दो
"हमसे कितना प्यार करोगे"

दृष्टि रखोगे अर्जुन-सी तो
लक्ष्य पे ही हर वार करोगे

उर-अँधियार मिटा पाये तो
खुद का साक्षात्कार करोगे

हिल जाएगा भूधर का तल
चोट जो बारम्बार करोगे

लुट जाएगा चैन 'बली' गर
नैन किसी से चार करोगे

मौलिक एवं अप्रकाशित
रामबली गुप्ता

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Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:39pm
सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार आदरणीय आरिफ़ साहब।सादर
Comment by Ravi Shukla on February 28, 2017 at 11:27am

आदरणीय रामबली जी सुंदर गजल के लिये बधाई स्‍वीकार करें

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 26, 2017 at 10:25pm

 सुन्दर भाव अभिव्यक्ति. बधाई स्वीकार करें.

Comment by बृजेश नीरज on February 26, 2017 at 5:24pm

अच्छी ग़ज़ल! बधाई!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 26, 2017 at 3:01pm

सुन्दर भावों की गजल के लये बधाई - विशेषतः -

दिल में द्वेष-दंभ का दानव,
उसका कब संहार करोगे?

राष्ट्र हितों पर मिट न सके तो,
जीवन यह बेकार करोगे।

दिल पर रख कर हाथ बता दो,
"हमसे कितना प्यार करोगे?    = अनुपम 

Comment by Sushil Sarna on February 26, 2017 at 12:09pm

दुर्ग दिलों के जीत सके तो,
विजित सकल संसार करोगे।

बहुत सुंदर एवम सार्थक अशआर .... इस संदेशप्रद ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय रामबली जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 26, 2017 at 9:57am
वाह वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ..बधाई
Comment by Mohammed Arif on February 26, 2017 at 9:19am
आदरणीय रामबली गुप्ता जी आदाब,शानदार ग़ज़ल बधाई स्वीकार करें ।

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