For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क़दम उठाने से पहले विचार करना था

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन

(आख़री शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ नज़र अंदाज़ करें और शैर का लुत्फ़ लें)

अगर वफ़ा का चलन इख़्तियार करना था
क़दम उठाने से पहले विचार करना था

ये एक बार नहीं बार बार करना था
बग़ैर नाव के दरिया को पार करना था

हुसूल-ए-इल्म की ख़ातिर भटकते फिरते हैं
ग़ज़ल का फ़न जो हमें बा वक़ार करना था

उठाके बोझ ज़माने का तेरी चाहत में
शऊर-ओ-फ़िक्र की सरहद को पार करना था

वो मेरी तेग़ से मरता तो क्या मज़ा आता
उसी के तीर से उसका शिकार करना था

__________

हुसूल-ए-इल्म :- ज्ञान प्राप्त करना
शऊर :- अक़्ल
तेग़ :- तलवार

--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1258

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 24, 2017 at 3:25pm
जनाब रोहिताश्व मिश्रा जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on April 24, 2017 at 3:24pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on April 24, 2017 at 3:22pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on April 24, 2017 at 3:21pm
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 21, 2017 at 4:18pm

वो मेरी तेग़ से मरता तो क्या मज़ा आता
उसी के तीर से उसका शिकार करना था//  वाह बेहतरीन शेर हुआ है जनाब समर कबीर साहब, मतला भी बेहतरीन हुआ है। शेर अच्छा हो तो तक़ाबुले रदीफ भी क्या कर लेगा :-)  दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएँ इस गज़ल के लिए

Comment by Sushil Sarna on April 20, 2017 at 10:59pm
Waaaaaaaah shaaaaàndar ahsaas sir haardik badhaaèeeeeeeeeee sir
Comment by दिनेश कुमार on April 20, 2017 at 9:14pm
वो मेरी तेग़ से मरता तो क्या मज़ा आता
उसी के तीर से उसका शिकार करना था... .. वाह वाह वाह। हासिल-ए-ग़ज़ल।
शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से .. वाह वाह आ. समर सर।
Comment by रोहिताश्व मिश्रा on April 20, 2017 at 8:52pm
वाह सर
बहुत प्यारी ग़ज़ल
वाआआह
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 20, 2017 at 2:09pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Mohammed Arif on April 20, 2017 at 12:27pm
वो मेरी तेग़ से मरता तो क्या मज़ा आता
उसी के तीर से उसका शिकार करना था । वाह!वाह!!क्या कहने ।
अगर वफा का चलन इख़्तियार करना था
क़दम उठाने से पहले विचार करना था । बहुत ख़ूब!बहुत ख़ूब!!
शे'र दर शे'र मुबारकबाद आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service