For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उल्फत न सही बैर निभाने के लिए आ.(समीक्षार्थ ग़ज़ल) :अलका ललित

221 1221 1221 122

***
उल्फत न सही बैर निभाने के लिए आ
चाहत के अधूरे से फ़साने के लिए आ

.

चाहत भरी दस्तक भी सुनी थी कभी दिल ने
वीरानियों को फिर से बसाने के लिए आ

.

शब्दों की कमी तो मुझे हरदम ही रही है
खामोश ग़ज़ल कोई सुनाने के लिए आ

.

सागर ये गमों का कहीं तट तोड़ न जाए
ऐ राहते जां बांध बनाने के लिए आ

.

रौशन दरो दीवार है झिलमिल है सितारे 
ऐ चाँद मेरे मुझको डुबाने के लिए आ

.

तहज़ीब की बातें करें जो है मेरे कातिल
जालिम मेरे अश्को को सजाने के लिए आ

.

लहरें हुई चंचल ज़रा डगमग है सफीना 
पतवार लिए पार लगाने के लिए आ

.

हरदम हो बहारें नही ये मेरी तमन्ना
पतझर में भी तू फूल खिलाने के लिए आ

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 8, 2017 at 5:31pm

आदरनीय   गिरिराज भंडारी   जी   , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये  आभार आपका।  सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 8, 2017 at 5:30pm

आदरनीय   Nilesh Shevgaonkar  जी   , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये  आभार आपका।  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:22pm

आदरनीया अलका जी , अच्छी गज़ल कहे है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 9, 2017 at 9:53am

आ. अलका जी,

ग़ज़ल के लिये बधाई ....
तरही अथवा तज़मीन ग़ज़ल जब भी कहें तो कोशिश करें कि मूल ग़ज़ल के मिसरों के अंश न आने पाये... अथवा तरक़ीब अलग हो 
ग़ज़ल के  लिये पुन: बधाई 
सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on May 8, 2017 at 10:32pm

आदरनीय   बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी   , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये  आभार आपका।  सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on May 8, 2017 at 10:31pm

आदरनीय   Samar kabeer  ji , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये धन्यवाद । मार्गदर्शन के लिए आभार आपका।  सादर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on May 8, 2017 at 10:28pm

आदरनीय  Sushil Sarna ji  , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आभार आपका। सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 8, 2017 at 8:14pm
वाह बहुत ही खूबसूरत सरस ग़ज़ल..बधाइयाँ
Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 6:35pm
मोहतरमा अलका ललित जी आदाब,अहमद'फ़राज़'साहिब की ज़मीन में ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
5वें शैर के ऊला में 'दिवार'को "दीवार" कर लें ।
Comment by Sushil Sarna on May 8, 2017 at 4:27pm

उल्फत न सही बैर निभाने के लिए आ

चाहत के अधूरे से फ़साने के लिए आ
.
चाहत भरी दस्तक भी सुनी थी कभी दिल ने

वीरानियों को फिर से बसाने के लिए आ

वह आदरणीय अलका ललित जी वाह बहुत ही खूबसूरत अशआर कहे है आपने। इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service