For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलियाँ छंद पर प्रथम प्रयास - निलेश नूर

कुण्डलियाँ छंद पर प्रथम प्रयास 
.
बोझ बढ़ा आवाम पर मगर न आई लाज
लगी लेखनी को अजब भक्तिभाव की खाज.
भक्तिभाव की खाज जो आधी रात जगाये
अपनी बरबादी का ज्ञानी जश्न मनाये. 
व्यापारी का देश में बुरा हुआ है हाल
मौजी निकला घूमने.. देश करे हड़ताल.
.
.
अठरह फी से दिक्कत थी अट्ठाईस से प्यार
बड़े ग़ज़ब के तर्क हैं बड़े ग़ज़ब सरकार.
बड़े ग़ज़ब सरकार लगे जी एस टी प्यारा
भक्ति करेंगे और बनेंगे हम ध्रुव तारा.
पूजन सामग्री औ बस्ता टैक्स नेट में आया
माँस हुआ करमुक्त जो सबने दाब के खाया.      
.
.
आतंकी अल-क़ायदा किया बहुत उत्पात 
लेकिन अब अल-गाय दा छाया रातों रात 
छाया रातों रात मुल्क की शान घटी है 
सिले हुए हैं लब, तुम्हारी ज़बां कटी है.
कहे नूर कविराय हटाओ गौरक्षक को 
प्रेमभाव के और तरक्की के भक्षक को.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 21, 2017 at 7:34am

 धन्यवाद आ. सौरभ सर,
विधान की कमियाँ इंगित करेंगे तो जल्दी सीख पाउँगा 
सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 17, 2017 at 3:14pm

प्रयास ने मुग्ध किया है. अलबत्ता भाव प्रस्तुतीकरण की उत्कट अपेक्षा ने प्रयुक्त छंद के  विधान से कितनी सहजता से वंचित रखा कि रचनाकार को इसका भान भी न रहा. किन्तु, पूर्ण विश्वास है, ग़ज़ल विधा के बहुमुखी जानकार विधाओं के विधान और इनकी महत्ता को अवश्य समझेंगे.

आदरणीय नीलेश भाई, सतत प्रयासरत रहें. 

शुभ-शुभ

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 16, 2017 at 5:25pm

धन्यवाद सभी का 

Comment by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 5:02pm

    बड़े ग़ज़ब सरकार लगे जी एस टी प्यारा 
भक्ति करेंगे और बनेंगे हम ध्रुव तारा...वाह  आदरणीय  Nilesh Shevgaonkar जी , आपकी गज़लें तो खूब पढ़ीं हैं , पहली बार आपके इस रचना  पक्ष  का  भी भान हुआ , बधाई ! सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 3:55pm

अरे वाह ग़ज़लकार छंद पर प्रयास कर रहे हैं यह ओबीओ पर ही देखने को मिलता है | वाह आदरणीय सुंदर प्रयास हुआ है | हार्दिक बधाई |

Comment by narendrasinh chauhan on July 13, 2017 at 6:14pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by khursheed khairadi on July 13, 2017 at 7:23am
सुन्दर कुण्डलिया आदरणीय नीलेश सर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on July 12, 2017 at 10:17pm
आद0 नीलेश जी सादर अभिवादन, हमे आपकी कुण्डलिया पसन्द आईं। बधाई इस सृजन पर
Comment by Mohammed Arif on July 12, 2017 at 10:16pm
आदरणीय नीलेश नूर जी आदाब, बेहतरीन कुंडलिया । इशारों-इशारों में सबकुछ बयाँ कर दिया आपने । वैसे भी जी.एस.टी. पूरे देश के लिए जी का जंजाल बन गया है । कभी-कभी अर्थ व्यवस्था के ऊपर ज्यादा प्रयोग भी घातक सिद्ध होते है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । शिल्प के संदर्भ में गुणीजन सबकुछ बता चुके हैं ।
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 8:45pm

आ. निलेश जी, छंद के विषय में कुछ कह पाने की स्थिति में तो मैं नहीं लेकिन इतना ज़रूर कह सकता हूँ कि इसका भाव पक्ष ज़बरदस्त है. बहुत सीधी और सटीक चोट की है आपने. मेरी तरफ़ से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
yesterday
Yatharth Vishnu updated their profile
yesterday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Thursday
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Oct 31

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service