विकल विदा के क्षण
सिहरता सूनापन
संग्रहीत हैं अनायास उमड़ते अनुभव
पता नहीं अब जीवन के इस छोर पर
प्रलय-पवाह जो भीतर में है
वह बाहर व्याप्त हो रहा है, या
स्तब्धता जो बाहर है, घुटती-बढ़ती
आकर समा गई है हृदय में आज
मेरी कमज़ोरियों का रूपांकन करती
शोचनीय स्थिति मेंं मूलभूत समस्याएँ
अवसर-अनवसर झुठलाती हैं मुझको
उभरते हैं पुराने जमे दुखों के बुलबुले
दुख में छटपटाती सलवटों की
सीमा रेखाएँ होती हैं क्या ?
किसी उलझे गणित की जटिल
आत्म-चेतस मनोभूमि में
यह विडम्बना ही तो है जो हम जीते हैं
अन्तर्ध्वनित सत्यों को प्रमाणित करते
अकसर हम कई वतसर नहीं बीता देते क्या
विशमय अभिशाप-सा यह प्रश्न है गंभीर
इस पर भी आधी-आधी रात में
अर्ध-अचेतन स्थिति में
अंधेरे के फैलाव में
तनाव में, घिराव में
प्रतीक्षातुर, गिनते ही रहते हैं हम
अशान्त साँसों की खतरनाक धड़कन
हार कर भी हार नहीं मानती है
खंडित चेतना प्रलय के द्वार पर
--------
-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित
Comment
//शब्दों का सुंदर चयन, भावों का निर्बाध प्रवाह , अनुपम सृजन//
इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी। बीमारी के कारण विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
आ. भाई विजय जी, इस बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति हुई है आदरणीय विजय सर | हार्दिक बधाई |
आदरणीय विजय निकोरे सर हार्दिक बधाई स्वीकारें इस अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए
//अंधेरे के फैलाव में
तनाव में, घिराव में
प्रतीक्षातुर, गिनते ही रहते हैं हम
अशान्त साँसों की खतरनाक धड़कन// वाह!
इस उम्दा कविता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. विजय निकोर जी. सादर.
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक उत्तम और प्रभावशाली प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय विजय निकोर जी, सुंदर भावों से भरपूर सुंदर रचा की प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई ।
जनाब विजय निकोर साहिब , सुन्दर भावों को दर्शाती उम्दा रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।
आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,
सुंदर, अनुपम अनुभूतियों से गूँथित प्रवाहमयी भावों का गुलदस्ता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online