For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

अरकान :1222  1222  1222  1222

अजब सी कश्मकश से यकबयक दो चार कर देगा

तुम्हे पहचानने से वो अगर इनकार कर देगा

ज़माने में जियो खुल के जवानी साथ है जब तक

करोगे क्या बुढ़ापा जब तुम्हे लाचार कर देगा

हक़ीक़त सामने है आज यह जो,  देख लेना कल

सही को भी ग़लत ये सुब्ह का अखबार कर देगा

रखें कुछ भी नहीं दिल में छुपा के आप भी मुझसे

नहीं तो शक खड़ी इक बीच में दीवार कर देगा

समझना मत कभी कमज़ोर, दुश्मन को ज़माने में

अगर मौका मिला उसको पलटके वार कर देगा

हमे अब दे रहा चेतावनी ये धुन्ध का आलम

अगर अब भी न जागे ज़ीस्त ये दुश्वार कर देगा

तबीअत इश्क़ में पहले से ही नाशाद है उसकी

तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 8:50pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई बहुत बड़ी वाह्ह्ह 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 6:31pm
सुरेंद्र भाई क्या खूब ग़ज़ल हुई है... दिल से दूआएँ..
Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 6:29pm

आद0 तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल ओर उपस्थिति और हौसला अफजाई का हृदय तल से आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2017 at 6:02pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 4:00pm

आद0 अजय तिवारी जी सादर अभिवादन।आपकी उपस्थिति और सराहना का बहुत बहुत आभार। यूँही स्नेह बनाएं रखें। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 3:58pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति मेरे लिए बहुत बड़ा आशिर्वाद है। बहुत बहुत आभार आपका। अभी अनुस्वार को दुरुस्त करता हूँ। आपके स्नेह का हृदय तल से आभार।
Comment by Ajay Tiwari on December 19, 2017 at 3:13pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 19, 2017 at 3:06pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कई शब्दों में अनुस्वार लगना थे,मगर नहीं लगे,देखियेग ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 1:47pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन।ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आ कमियों की ओर इशारा करते तो अवश्य सुधार का प्रयास करता। सादर।

Comment by Mohammed Arif on December 18, 2017 at 7:43pm

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                               अच्छी ग़ज़ल हुई है । हर शे'र बेहतरीन । कुछ सुधार का आग्रह है जो गुणीजन बेहतर तरीक़े से बता सकेंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service