अरकान- फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
आप अंदाज़ रखें हँसने हँसाने वाला
यही किरदार तो है साथ में जाने वाला।1।
आज क्या बात है, नफ़रत से मुझे देखता है
मेरी तस्वीर को सीने से लगाने वाला।2।
काटने वाले तो हर सिम्त नज़र आते हैं
पर न दिखता है कोई पेड़ लगाने वाला।3।
आख़िरी बार उसे देख ले तू जी भर के
फिर न आएगा कभी लौट के, जाने वाला।4।
आबरू की भी लगा देती है क़ीमत दुनिया
गर चला जाये किसी घर का कमाने वाला।5।
दाग़ दामन पे कभी लग न सकेगा तेरे
साथ हो गर कोई आईना दिखाने वाला।6।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बहुत उम्दा ग़ज़ल केलिए मुबारकबाद कुबूल करें
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी सुखनवाजी का बहुत बहुत आभार।
आद0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। आपका ग़ज़ल पर सुखनवाजी का बहुत बहुत शुक्रिया। सादर
आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति औरऔर हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार। ग़ज़ल पसन्द आयी। कहना सार्थक हुआ।
आद0 अजय तिवारी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर गहराई से शिरकत करने और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार। आपका सुझाव उत्तम है। सादर
आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
बहुत ही सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल हुई आदरणीय ..सादर
बहुत सुंदर ग़ज़ल | हर शेर उम्दा, हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी |
आदरणीय सुरेन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, हार्दिक बधाई.
'पर न दिखता है कोई पेड़ लगाने वाला' की जगह 'पर कोई दिखता नहीं पेड़ लगाने वाला' भी एक विकल्प हो सकता है.
एक विकल्प 'पर यहाँ कोई नहीं पेड़ लगाने वाला' भी हो सकता है.
सादर
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