For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सबको इस रिक्शे पर बैठना है और मन किया तो घूमना भी है", एक तरफ से आती आवाज सुनकर रवि ने उधर देखा. शादी के उस मंडप में वह विशिष्ट दर्जा प्राप्त व्यकि था, आखिर दामाद जो ठहरा. सामने कुछ दूर पर खड़ा रिक्शा दिख गया, वही सामान्य रिक्शा था, बस उसको खूब सजा दिया गया था. साफा बांधे एक आदमी भी वहां खड़ा था जिसे लोगों को घुमाने की जिम्मेदारी दी गयी थी. रवि ने वहां से जाने की कोशिश की लेकिन पत्नी ने हाथ पकड़ लिया "अरे सब बैठ रहे हैं तो हमको भी बैठना पड़ेगा".
बारी बारी से लोग रिक्शे पर बैठते, कोई थोड़ा घूम भी लेता. फोटो अलबत्ता हर व्यक्ति खिंचा रहा था और कुछ तो सेल्फी भी ले रहे थे. और उतरने के बाद उस चालक को हर व्यक्ति भरपूर पैसे दे रहा था. उसकी बारी आयी तो उसने ध्यान दिया, उसके पहले वाले रिश्तेदार ने उतरकर १०० रुपये दिए थे. उसने भी एक बार जेब में हाथ डाला और नोट को छूकर आस्वस्त हुआ, फिर पत्नी के साथ रिक्शे पर बैठकर फोटो खिंचवाया.
रिक्शे से उतरकर जैसे ही उसने जेब में हाथ डाला, पत्नी ने उसको रोका और पर्स से पैसे निकालने लगी. उसने १५० रुपये निकाले और रिक्शेवाले को पकड़ाते हुए उस रिश्तेदार की तरफ देखा जिसने १०० रुपये दिए थे. उसको बेहद आश्चर्य हुआ और उसकी नज़रों के सामने कुछ दिन पहले पत्नी का रिक्शेवाले को डांटने का दृश्य कौंध गया "क्या भैया, लूट मचा रक्खी है, बस चार कदम का २० रुपये मांग रहे हो. १० रुपये दूंगी, चलना है तो चलो".
उस गमछी से पसीना पोंछते कमजोर रिक्शेवाले को उस दिन उसने चुपके से जो २० रुपये पकड़ा दिए थे, आज उसे बहुत कम लग रहे थे.
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on February 24, 2018 at 1:14pm

इस हौसलाअफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार आ मोहतरम सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  साहब

Comment by विनय कुमार on February 24, 2018 at 1:12pm

इस हौसलाअफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार आ मोहतरम तस्दीक़ अहमद खान साहब

Comment by विनय कुमार on February 24, 2018 at 1:11pm

इस हौसलाअफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार आ मोहतरम समर कबीर साहब

Comment by नाथ सोनांचली on February 22, 2018 at 2:21pm

आद0 विनय जी सादर अभिवादन। बढिया व्यंग कसा आपने,स्टेटस के नाम पर दिखावा। बहुत बहुत बधाई आपको।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 1:26pm

जनाब विनय कुमार साहिब , ज़बरदस्त लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by Samar kabeer on February 21, 2018 at 3:29pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by विनय कुमार on February 20, 2018 at 8:33pm

इस हौसलाअफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार आ मोहतरम शेख़ शहज़ाद साहब, मुझे लगता है स्टेटस एक ऐसा शब्द है जिसे हिंदी की रचना में भी आसानी से स्वीकार किया जा सकता है.

Comment by विनय कुमार on February 20, 2018 at 8:30pm

बहुत बहुत आभार नादिर खान साहब

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 19, 2018 at 6:58pm

विसंगतियों को शाब्दिक और चित्रित करती इन्सानियत पर विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विनय कुमार साहिब। इतनी बढ़िया रचना का शीर्षक हिन्दी में हो, तो बेहतर।

Comment by नादिर ख़ान on February 19, 2018 at 4:44pm

....खूब कहा आदरणीय विनय कुमार जी ... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
18 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service