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नेता जी - दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'


बढ़ते ही नित जा रहे, खादी पर अब दाग
नेता जी तो सो रहे, जनता तू तो जाग।१।


जन सेवा की भावना, आज बनी व्यापार
चाहे केवल लाभ को, कुर्सी पर अधिकार।२।


मालिक जैसा ठाठ ले, सेवक रखकर नाम
देश तरक्की का भला, कैसे हो फिर काम।३।


नेता जी की चाकरी, तन्त्र करे नित खूब
किस्मत में यूँ देश की, आज जमी है दूब।४।


मुखर हुए निज स्वार्थ हैं, गौंण हो गया देश
नेता खुद  में  मस्त  हैं, क्या  बदले परिवेश।५।


जाति धर्म तक हो गये, सीमित नेता आज
बचा रहे निज ताज हैं, बेच वतन की लाज।६।


लेकर चलते साथ अब, बड़बोलापन खूब
बरगद खुद को सोचते, होकर नेता दूब।७।


राजनीति को कर दिया, नेता ने व्यापार
जनता को नित वो ठगे, बनकर साहूकार।८।


चिन्ता जिनको देश की, नेता बचे न आज
चाहें चाल कुचाल चल, कायम अपना राज।९।


बन अभिभावक गर करे, हर नेता व्यवहार
सच होगा दिन चार में, जन-जन का उद्धार।१०।

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 9, 2018 at 6:18am

आ. भाई छोटेलाल जी, प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 8, 2018 at 8:37pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी वर्तमान परिदृश्य पर प्रहार करती अनूठी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2018 at 7:37pm

आ.भाई सुरेंद्र जी , इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2018 at 7:36pm

आ. भाई समर जी, उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए आमार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2018 at 7:35pm

आ. भाई नीलेश जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार । साथ ही राजनीति के गटर के सफाई अभियान की शुरूआत के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2018 at 10:07am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। वर्तमान राजनीति और नेताओं पर व्यंग कसते हुए अच्छे दोहे कहे आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on May 7, 2018 at 5:50pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,आज के नेताओं की खिंचाई करते उम्दा दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

पहले दोहे में 'दाग़' और 'जाग' की तुकान्तता सहीह नहीं है,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2018 at 11:31am

आ. भाई आरिफ जी, अपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 7, 2018 at 11:31am

आ. लक्ष्मण जी 
अच्छे   दोहे हैं   जिनके लिए   बधाई ...
ये फेलियर हमारी कमज़ोरी है क्यूँ कि हमने इन पाखण्डियों के लिए जगह छोड़ी हुई है ...
अब वक़्त आ गया है   कि राजनीति को घृणित मानने की जगह उस में उतर कर यह गटर साफ़ की जाय  ताकि निर्मल जल प्रवाहित हो सके..
मैं शुरुआत कर चुका हूँ...इनके कार्यालयों में घुस कर अपना झंडा गाड़ने की ...
सादर 

Comment by Mohammed Arif on May 7, 2018 at 8:10am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,

                                  नेताओं के चरित्र को उजागर करते बेहतरीन दोहे कहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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