For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तपती धूप,
जर्जर शरीर,
फुटपाथ का किनारा,
बदन पर पसीना,
किसी के आने के इन्तजार में...
पथराई सी आँखें,
घुटनों पर मुँह रखे-
एक टक, एक ही दिशा में देख रही थीं...

- ना जाने कब से?

यूँ तो सामने दो छतरी पड़ी थीं, पर
कड़ी धूप में जल-जल के,
बदन काला पड़ गया था ....

रंग बिरंगे रूमाल -
सजे तो बहुत थे, पर
जिस्म पसीने में लथपथ था....

सफेद बाल,
तजुर्बों की गबाही दे रहे थे....
जिस्म पर लटकती खाल -
सूखे वृक्ष पर टंगी लोई के समान लगी !

नजर का मोटा चश्मा,
एक लकड़ी के सहारे टिका था...
चंद सिक्के,
उदास पड़े थे !

कैसी बेबसी थी ?
क्या ये कोई उमर थी ?
इतना संघर्ष -
सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए !!

रिक्शा खींचता है एक बूढ़ा शरीर-
क्या सो गया है बहू बेटों का जमीर ?

झुकी कमर,
लकड़ी का सहारा,
उस पर भारी गठरियाँ लिए...
चली जा रही थी !!
ना जाने वो...किसकी माँ थी ?

निराश दिलों में आशा का समन्दर देखकर,
आज नम हो गयीं आँखें ये मंजर देखकर!!
(मौलिक व अप्रकाशित )


Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:13am

बहुत ही खूब भावों से भरी हुई रचना में लिए बधाई आदरणीया...

Comment by Mahendra Kumar on June 20, 2018 at 6:36pm

अच्छी कविता है आदरणीया रक्षिता जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। कृपया आदरणीय समर कबीर सर की बातों का संज्ञान लें। सादर। 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:21pm

आदरणीय रक्षिता जी, नमस्कार।  बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना है । प्रस्तुति के लिए बधाई ।  

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 2:28pm

मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,अच्छी कविता है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'किसी के आने का इन्तिज़ार में'

इस पंक्ति में 'का' को "के" कर लें ।

'तजुर्बों की गबाही दे रहे थे'

इस पंक्ति में 'तजुर्बों' शब्द ग़लत है, 'तज्रिबा' सहीह शब्द है,और इसका बहुवचन "तज्रिबात" होता है, और 'गबाही' नहीं "गवाही", इस पंक्ति को यूँ कर सकती हैं:-

"तज्रिबात की गवाही दे रहे थे"

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 10:45pm

आदरणीय तस्दीक़ जी नमस्कार, 

आपकी शिर्कत व हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 10:39pm

आदरणीय आरिफ जी नमस्कार, आपको कविता पसंद आयी लिखना सार्थक हुआ , बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 10:38pm

आदरणीय बसंत जी नमस्कार,

कविता की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 19, 2018 at 6:50pm

हालातों का सही तस्वीर....

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 6:24pm

मुह तरमा रक्षीता साहिबा , गज़ब की मंज़र कशी हुई है कविता में, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

Comment by Mohammed Arif on June 19, 2018 at 12:44pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी आदाब,

                            बहुत ही मार्मिक कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service