मॉरिशस में हिंदी साहित्यिक समारोह
एक एतिहासिक दिन
7 सितम्बर 2018 हिंदी प्रचारिणी सभा मॉरिशस,परिकल्पना संस्था भारत तथा उच्चायोग मॉरिशस के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिंदी भवन लॉन्गमाउन्टेन पोर्ट लुई मॉरिशस में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ|
जिसमे भारत के सहभागी ३२ साहित्यकारों को भिन्न भिन्न विधाओं के मद्देनज़र सम्मानित किया गया| मुझे मेरे लघुकथा संग्रह ‘गुल्लक’ हेतु ये सम्मान प्राप्त हुआ|
परिकल्पना संस्था से मेरा जुड़ाव कई वर्षों से है| २०१२ में परिकल्पना के संस्थापक श्री रविन्द्र प्रभात जी द्वारा आयोजित लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर समारोह में मेरे ब्लॉग को इजराइल संस्मरण हेतु प्रथम चुना गया जिसके लिए मुझे वहाँ सम्मानित किया गया|
इतने अंतराल के बाद पुनः परिकल्पना द्वारा आयोजित हिंदी साहित्योत्सव मॉरिशस में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|परिकल्पना हर वर्ष देश में विदेश में ये आयोजन करती आई है इसी लिए हिंदी संस्थाओं में ये विशिष्ठतम स्थान बनाए हुए है|
जिन्दगी में कुछ मसरूफ़ियत की वजह से कुछ आयोजनों में जाना नहीं हो सका |
किन्तु इस आयोजन के लिए जैसे ही पता चला कि इस बार मॉरिशस में हो रहा है तो मैंने तुरंत स्वीकृति दे दी उसके दो मुख्य कारण थे १.मेरे लघुकथा संग्रह ‘गुल्लक’ के लिए मुझे वहाँ सम्मानित किया जाना तय हुआ था २.
दूसरे मॉरिशस देखने की तमन्ना पहले से ही दिल में थी जो इस आयोजन को सुनते ही बलवती हो गई और इसमें शरीक होने का मन बनाया|
ऐसे आयोजनों में शरीक होने से मुख्यतः चार फायदे होते हैं १.खुद की उपलब्धियों का विदेशी धरती पर सम्मान होना २.नये देश की सभ्याता संस्कृति उसकी भौगोलिक परिस्थिति को नजदीक से जानने समझने का अवसर मिलना ३.अपनी हिंदी का प्रचार और विकास होना ४.देश के हर कोने से आये साहित्यकारों कलाकारों से परिचय होना विभिन्न फ़न या हुनर से रूबरू होना|
३२ साहित्यकारों का ये कारवाँ भारत की दो दिशाओं से चलकर मॉरिशस में मिला|
अर्थात २ सितम्बर १८ को ३० लोग दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना हुए और मैं और जाने माने वरिष्ठ शाइर/कवि जनाब सागर त्रिपाठी जी मुंबई एयरपोर्ट से रवाना हुए |
हमारी फ्लाईट सुबह पांच बजे थी जो माहे आईलेंड तक थी माहे से मॉरिशस की दूसरी फ्लाईट थी|
दिल की उत्सुकता माहे एयरपोर्ट को देखते ही दोगुनी हो गई |बेहद खूबसूरत एयरपोर्ट; लेंडिंग के वक़्त समुद्र के किनारे-किनारे रनवे पर लगभग एक दो किलोमीटर दौड़ता हमारा जहाज़ आसमान में उगता नवल सूरज अपनी रश्मियों से हमारा स्वागत करता प्रतीत हो रहा था बेहद खूबसूरत मंजर ,रोमांचित करता हुआ
दिल खुश हो गया रात भर का जागना मुम्बई से साढ़े चार घंटे यात्रा की थकान मानो पल में गायब हो गई |
अगली फलाईट एक घंटे के अंदर ही मॉरिशस के लिए थी तो चार साढ़े चार बजे हमने मॉरिशस की धरती पर कदम रखा|
हम ‘ली,ग्रांड,ब्ल्यू होटल’ पंहुच गये जो ‘इंस्पायरेशन अक्स बीच’ पर ही स्थित है |
कुछ वक़्त के बाद दिल्ली से चला ग्रुप भी पँहुच गया|मेरे लिए रविन्द्र प्रभात जी उनकी पत्नी माला जी और सागर त्रिपाठी जी के अतिरिक्त सभी अजनबी थे|
नेट के माध्यम से ही कुछ लोगो को जानती थी |
रिशेप्शन पर जैसे ही सबसे परिचय का आदान प्रदान हुआ तो लगा कुछ पलों में ही सभी अपने हैं और पहले से ही परिचित हैं एक परिवार के सदस्य एक साथ मिल रहे थे एक दूसरे के साथ फोटो खिचवा रहे थे उत्सुकता उत्साह से दमकते चेहरे कोई थकावट नहीं अद्दभुत.... कभी न भूलने वाला द्रश्य था|
देश के कोने कोने से चले निम्नलिखित साहित्यकार ,रचनाकार,कलाकार थे .
श्री रविन्द्र प्रभात ,माला चौबे ,डॉ. मिथिलेश दीक्षित(लखनऊ) श्री जगदीश पीयूष,डॉ. राम बहादुर मिश्र ,श्री राजीव प्रकाश ,कुसुम वर्मा ,श्री सागर त्रिपाठी,श्री दीनानाथ द्विवेदी,सत्या सिंह,डॉ. सुषमा सिंह ,डॉ.अर्चना श्रीवास्तव ,राजेश कुमारी राज,डॉ.मीनाक्षी सक्सेना ,डॉ.रमाकांत कुशवाह ,डॉ.प्रभा गुप्ता,डॉ.अरुण कुमार शास्त्री,डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी,डॉ.अनीता डॉ.पूनम तिवारी,श्री अद्य प्रसाद प्रदीप,श्री शिवपूजन शुक्ल ,डॉ.ओमप्रकाश शुक्ल ,श्री विमल प्रसाद बहुगुणा,श्री सचिन्द्र मिश्र,सुनीता,शुभेंदु प्रभात आदि|
डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी वरिष्ठ साहित्यकारा जो लखनऊ से आई थी वो मेरी रूम पार्टनर बनी सरल सौम्य अतिविशिष्ट व्यक्तित्व वाली विदूषी महिला हैं उनका सानिध्य मेरे लिए बहुत विशेष रहा लग रहा था मानो मैं अपनी बड़ी बहन के साथ हूँ |
हमने जब भी वक़्त मिला साहित्य पर भरपूर चर्चा की एक दूसरे को अपनी अपनी रचनाएँ सुनाई हँसी ठिठोली भी की दिन में भ्रमण में वयस्त हो जाते तो रात को भी सोना नहीं चाहते थे अपने अपने ज्ञान का आदान प्रदान चलता रहता था |
पहले दिन आराम करने के बाद ३ सितम्बर को मॉरिशस के साउथ टूर पर जाना तय था |
सुबह-सुबह दो बसों में हम लोग घूमने निकले| हमारी बस की गाइड पूनम बड़े हँस मुख स्वभाव की थी जो जगह-जगह की जानकारी देने के साथ-साथ मनोरंजन भी करती जाती थी|कभी-कभी हम लोगों ने अन्ताक्षरी भी खेली जिसमे वो हिस्सा भी लेती थी और हिंदी गाने बहुत अच्छे से गाती थी |
साउथ टूर में हमने शिप बनाने की फेक्ट्री देखी हजारों शिप के मॉडल रखे हुए थे वहाँ|जो बिक्री के लिए भी थे |
गंगा तलाब पँहुचे जहाँ हमारे सभी देवी देवताओं की बड़ी बड़ी प्रतिमाएँ देखने को मिली बहुत सुंदर शिव का मन्दिर देखा |जहाँ हमने शिवलिंग पर जल चढ़ाया |
उसके बाद ‘ट्रो ऑक्स क्राफ्ट सेंटर शोपिंग इन फ्लोरल’ में घूमे थोड़ी बहुत शोपिंग की | उसके बाद हम दक्षिणी पश्चिमी भाग में स्थित ‘ब्लेक रीवर जोर्जेस नेशनल पार्क’ देखने गये बहुत ही खूबसूरत पार्क जिसका मुख्य आकर्षण सात रंग की धरती
या मिटटी अद्दभुत लगी|
इसी टूर में हमने २००० दो हजार वर्ष पहले सक्रीय हुआ ज्वाला मुखी का स्थान देखा अद्दभुत व्यू था उस वक़्त हलकी बारिश व धुंध में नज़ारा अलग ही था
बिना छाते के ही हमने मौसम का लुत्फ़ उठाते हुए साउथ टूर को पूरा किया |
टूर से लौट कर प्रतिदिन रात को स्वीमिंग पूल के किनारे काव्य गोष्ठी आयोजित की जाती थी जिसकी अध्यक्षता सागर त्रिपाठी जी तथा संचालन डॉ.राम बहादुर मिश्र जी करते थे| सभी अपनी अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएँ प्रस्तुत कर अपनी विद्वता का परिचय देते थे|
चार सितम्बर को हम नार्थ टूर के लिए निकले वही बस वही गाइड वही कवि साथी| उस दिन हमने ‘पोर्ट लुईस सिटी’ का शानदार व्यू ‘सिटाडेलफोर्ट’ से देखा जिसे देख हर कोई रोमांचित हो उठा |वहाँ चाइनीज़ मॉडल्स की कोई शूटिंग भी चल रही थी| फिर ‘कोडान वाटर फ्रंट मॉल’ में घूमे व शोपिंग की |’बैगेटेल मॉल’ भी घूमे |
पांच सितम्बर को हमने ‘आईलेंड’ टूर किया | वहाँ ‘बैल्ले मेर वाटर स्पोर्ट्स’ के लिए पँहुचे| मुझ जैसी एडवेंचर पसंद इंसान को और क्या चाहिए वहाँ अन्दर सी वाक् किया जो मेरे लिए पहला अनुभव था अंडमान में स्नोर्क्लिंग किया हुआ था किन्तु यह अलग था भारी भारी हेलमेट जिसमे ऑक्सीजन स्टोर थी हमें पहना कर पन्द्रह बीस फीट नीचे समुन्द्र में वहाँ के एक्सपर्ट डाइवर ले गये वहाँ वाटरप्रूफ केमरे से
फोटोग्राफी की गई |रंग बिरंगी मछलियों को गहराई में अपने इर्द गिर्द घुमते हुए देखना उन्हें छूना और फिर उनको भोजन खिलाना एक अद्दभुत अनुभव था |
सत्या सिंह,सुनीता,शुभेंदु,अभिलेश,अरुण,और मैंने ये एडवेंचर किया |
ट्यूब राइडिंग की जिसमे हम तीन बैठे सत्या सिंह शुभेंदु और मैं | स्पीड बोट के पीछे बांधकर ट्यूब को ले जाता है जिसमे ट्यूब लहरों से साथ उछलती कूदती स्पीड से दौडती है हम तीनो की चीखें बस या तो हम या समुन्द्र ही सुन सकता था .
बेहद रोमांचकारी थ्रिलिंग राइड थी वापस साहिल पर पँहुच कर ही जान में जान आई | किन्तु चेलेंज स्वीकार किया था तो सब करना था फिर अंत में पैरा सेलिंग की|
बोट से ही टेक ऑफ़ किया और बोट में ही लेंड किया| इसमें पैराशूट बोट की रस्सी से ही बांधा हुआ होता है वो आकाश में उड़ाया जाता है जिसमें हमको सुरक्षा जेकेट के साथ बांधा होता है| आकाश में उड़ने का ऊपर से हरा समुन्द्र देखने का बहुत ही सुन्दर एहसास होता है पैरा सेलिंग मैंने पहले गोआ में की हुई थी किन्तु लेंडिंग और टेक ऑफ़ की टेक्नीक अलग थी मॉरिशस में सब बोट से ही किया गया|
बारी बारी से हमने ये पैरा सेलिंग की ऐक दुसरे की होस्लाफ्जाई की बाद में बोट में ही म्यूजिक के साथ थोड़ा डांस किया और वक़्त का भरपूर लुत्फ़ उठाया|
छह सितम्बर को सुबह दस बजे होटल के हॉल में ही कांफ्रेंस हुई|
जिसमे मॉरिशस के डॉ.रामदेव धुरंधर, श्री राजा हीरामन,श्रीमति कल्पना लाल जी ,श्री यन्तुदेव बधू जी ,श्री धनराज शम्भु जी श्री इन्द्रदेव भोला नाथ जी ने वक्तव्य दिए उनका परिचय हमें मिला और हम लोगों का उन्हें| हिंदी प्रचार प्रसार में मोरिशस की सहभागिता के विषय में विस्तार से जानकारी प्रात हुई |
अंत में सात सितम्बर वो दिन आया जिसकी सबको प्रतीक्षा थी अर्थात जिस दिन के लिए भारत से ३२ रचनाकारों साहित्यकारों का ये जत्था चला था |
हम सब ‘माउंट लॉन्ग पर कांफ्रेंस’ के लिए हिंदी परिचारिणी सभागार में पहुँचे|
सभागार में काफी संख्या में लोग उपस्थित थे सभी के मन में सम्मान समारोह व मॉरिशस के उच्चायुक्तों से मिलने की एक उत्सुकता थी|
मंचपर मॉरिशस के महामहिम श्री अभय ठाकुर जी,भारतीय उच्चायुक्त सांसद माननीय विकास ओरी जी, प्रो.विनोद कुमार मिश्र (महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय ) हिंदी प्रचारिणी सभा के प्रधान श्री यन्तु देव बुद्धू जी ,हिंदी प्रचारिणी सभा मॉरिशस के मंत्री श्री धनराज शम्भू जी तथा अपने परिकल्पना ग्रुप के संस्थापक श्री रविन्द्र प्रभात जी आदि आसीन थे|
मॉरिशस के राष्ट्रीय गान तथा हिंदी के राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का आगाज़ हुआ |उस वक़्त मोरिशस की धरती पर अपना राष्ट्रीय गान गाते हुए हमें जो फक्र जो गर्व महसूस हो रहा था उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं|दिल में तन-मन में
एक अद्दभुत ऊर्जा का संचार हो रहा था सभी में|
गणेश वन्दना से आयोजन आरम्भ हुआ|पहले परिकल्पना के सौजन्य से भारतीय साहित्यकारों ने मॉरिशस के मुख्य अतिथि विशिष्ठ अतिथियों का मोमेंटो व अंगवस्त्र देकर सम्मान किया| मंचासीन सभी सदस्यों का वक्तव्य हुआ हिंदीभाषा में उनकी सक्रियता अभिरुचि देखते ही बनती थी लग ही नहीं रहा था कि हम दूसरे देश में हैं उनके महामहिम ने भी हिंदी में कविता कर खूब वाहवाही बटोरी |
बाद में हम सभी साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र ,शाल,स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया |
उसी बीच कई साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया |
उसी वक़्त कुछ कलाकारों द्वारा प्रदर्शनियाँ भी लगाई गई |सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाटक प्रस्तुत किये गए |उत्तराखंड से आये उत्तराखंडी फिल्मों के जाने माने लोक गायक एक्टर श्री विमल बहुगुणा जी की ढपली के साथ गायन की प्रस्तुती सराहनीय थी| श्री शिवपूजन जी के भजन बहुत मनमुग्धकारी थे |कुसुम वर्मा की प्रस्तुति अभिनेत्री प्रतिमा जी का नाटक सुनीता जी का संचालन सब सराहनीय रहा | डॉ.अर्चना श्रीवास्तव जी की विचारयुक्त पोस्टर प्रदर्शनी काबिले तारीफ़ थी |
उसके बाद हुई काव्य गोष्ठी जिसका संचालन श्रीमती डॉ.मिथिलेश जी की अध्यक्षता में जनाब सागर त्रिपाठी जी ने किया|सभी ने अच्छी अच्छी प्रस्तुतियां दी क्योकि समय का अभाव था तो एक एक छोटी रचना ही सुनाई गई |मैंने “तय करता मृग कितनी दूरी” गीत और एक कतआ सुनाया|
मॉरिशस भ्रमण में वहाँ की भौगोलिक स्थिति , इतिहास, संस्कृति, परम्पराओं आदि को विस्तार से जानने का अवसर मिला |हिन्दू,क्रिश्चियन,मुस्लिम तीनो धर्म के लोग वहाँ संयुक्त रूप से शांतिपूर्वक रहते हैं 70 प्रतिशत हिन्दू मुस्लिम भारतीय मूल के हैं |वहाँ हिंदी बहुतायत रूप से बोली जाती है हमें भाषा संबंधी कोई दिक्कत नहीं आई| भारतीय भोजन भी हमें वहाँ आसानी से उपलब्ध हो गया चावल रोटी सब्जी उनके खाने में भी शुमार है| गन्ने की खेती तो वहाँ सबसे ज्यादा होती है|
रस्ते में गन्ने के खेत उनके चरों तरफ लगे पाम के पेड़ बहुत सुहावने लग रहे थे |
वहाँ के लोगों का स्वभाव भी सरल दिखाई दिया भारतीयों से बहुत प्रेमभाव व अपनत्व से मिले |वहाँ विवाह भी भारत के जैसे हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार ही होते हैं किन्तु दहेज़ वहाँ नहीं चलता ये बहुत ख़ास सराहनीय बात है हमारे देश को वहाँ से प्रेरणा लेनी चाहिए |
श्रीमती कल्पना लाल जी जो मेरे पड़ोस की ही मेरठ की रहने वाली हैं पच्चीस तीस वर्षों से मॉरिशस में हिंदी प्रचार प्रसार में काम कर रही हैं मेरी अच्छी दोस्त बन गई हैं|बहुत ही मिलनसार स्नेह अपनत्व से भरा व्यक्तित्व है उनका|उनसे भी मॉरिशस को जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |
इस तरह मॉरिशस को हम नजदीक से देख पाए |
अपने सभी साहित्यकार बहुत सपोर्टिव थे बढ़-चढ़ कर एक दूसरे की मदद करने को हमेशा तत्पर रहते थे| सागर त्रिपाठी जी,अभिलेश जी ने हर अवसर की सबकी बेहतरीन तस्वीरें ली हमेशा मदद के लिए हाथ बढाया| सागर जी के रूम में तो हम सब महिलाएँ स्पेशल चाय पाने के लिए बेझिझक पँहुच जाती थी |क्योंकि वो फ्रेश दूध का डब्बा खरीद लाये थे सबको रूम में बिना दूध की चाय पीनी पड़ती थी|
डॉ.मिथिलेश जी सत्या सिंह जी और मैं तो रात रात भर साहित्यिक विधाओं पर चर्चा करते एक दूसरे की रचनाएँ सुनते सुनाते रहते थे वो भी अविस्मर्णीय पल थे |
आठ सितम्बर को वापस सबसे बिछड़ने का दिन आ गया हमारी मुंबई वालों की फ्लाईट दिल्ली वालों से पहले थी अतः हमने अंतिम टूर सफारी का मिस किया |
चेक आउट के वक़्त भी सभी साहित्यकार रिशेप्शन पर एकत्र हुए सबके दिलों में बिछड़ने की एक टीस आँखों में नमी साफ़ दिखाई दे रही थी अंतिम क्षणों में भी ऐक दूसरे के साथ फोटो खिचवाई अपने अपने शहर आने का न्योता दिया और गमगीन माहौल में चेक आउट करके एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए |
भले ही सब बिछड़ गए लेकिन निसंदेह एक रिश्ता सबके बीच कायम तो हो ही गया था|
ये कैसा रब्त तुझसे हो गया कायम
जो रोया वक़्त-ए-रुख्सत में यह दिल मेरा
Comment
आद० छोटे लाल जी आपकी शुभकामनाएँ सर माथे पर एक रचनाकार को और क्या चाहिए दिल से आभार आपका
आदरणीय सुशील सरना जी आपकी शुभकामनायें होस्लाफ्जाई हमेशा मार्ग प्रशस्त करती हैं आपका दिल से बहुत बहुत आभार सादर
आद० समर भाई जी ,आपने कदम दर कदम मेरी रचनाओं को सराहा है मेरी होस्लाफ्जाई की है जो लेखन हेतु ऐक टॉनिक का काम करती रही हमेशा अपने आशीर्वचनो के साथ शुभकामनाएँ दी जिन्होंने हमेशा मेरा मार्ग प्रशस्त किया इसी तरह आगे भी आपका मार्ग दर्शन चाहिए .हार्दिक आभार आपका
आद० तेजवीर सिंह जी आपकी शुभकामनाएँ मेरे लिए सम्बल है जो मुझमे लेखन के लिए नव ऊर्जा संचारित करती हैं हार्दिक आभार आपका
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन आपके इस महान उपलब्धिउपलब्धि से हम सब गौरवान्वित हैं ,आपकी रचना धर्मिता आपको बुलंदियों पर ले जाएगी ,दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए
आदरणीया राजेश कुमारी जी इस महान उपलब्धि हेतु आपको हार्दिक बधाई। आपका ये सम्मान मंच के लिए गौरव का विषय है। साहित्यिक यात्रा की उपलब्धियाँ सृजन पथ को सशक्त करती हैं। पुनः आपको हार्दिक बधाई।
आदरणीया राजेश कुमारी जी, नमस्कार। मॉरीशस में संपन्न अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में प्राप्त सम्मान पत्र के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।ईश्वर आपको सदैव इसी प्रकार सम्मानित करायें।
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,आपकी ये उपलब्धि यक़ीनन ओबीओ परिवार की उपलब्धि है,इस सम्मान के लिए हम सभी अपने आप को गौरान्वित हुए हैं,बहुत बहुत मुबारकबाद आपको ।
मॉरीशस में संपन्न अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में प्राप्त सम्मान पत्र के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। आपकी इस गौरवशाली उपलब्धि से ओ बी ओ का, हम सब का और हमारे देश भारत का सिर गर्व से ऊँचा हुआ है।ईश्वर आपको सदैव इसी प्रकार सम्मानित करायें।
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