पति ब्रांड ...
बिखरे बाल
हाथ में झोला
कई जगह से
पैबंद लगा
कुर्ते का चोला
न जाने ऊपर वाले को
क्या सूझा कि
पत्नी के अखाड़े में
पति को पेल दिया
अच्छे भले
बिन ब्याहे नैन
नैन शाला में पड़ते थे
केश सौंदर्य में
अजब सा अल्हड़पन था
भ्रमर से
कलियों पे मंडराते थे
ख्वाब भी हसीन होते थे
लेकिन कब तक
बिना पट्टे की
आवारा घूमते
घरवालों के तानों से परेशान
हमने पसंद कर ली
ब्रांडेड नार
पत्नी
और ब्रांडेड नार ने
टांग दिया हमारे गले में
पति ब्रांड का टैग
कुछ वर्ष तो
स्वप्न लोक से बीते
फिर
धीरे धीरे
सपने बेलन और चकले के संघर्ष में
बिखरते गए
दो ब्रांडों के मिलन के प्रतिफल
नन्हें ब्रांडों ने
एकांत छीन लिया
पत्नी अम्मा हो गयी
पति बापू हो गए
टूटे बटनों से
हमारे विवाहित वर्षों की
गिनती होने लगी
पति ब्रांड के टैग ने
नैन शालाओं के द्वार बंद कर दिए
यूनिवर्सिटी जब साथ होती है
पति शालाओं से नजर चुराता है
बाहर से मुस्कुराता है
भीतर से खुद को समझाता है
शालीनता बनाये रख
वरना भरे बाज़ार में
ब्रांड कंडम हों जाएगा
शालाओं के चक्कर में
यूनिवर्सिटी से भी जाएगा
जीते जी
पत्नी के हाथों
पति ब्रांड
सती हो जाएगा
©सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय बृजेश जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।
आदरणीय अजय तिवारी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब .... सृजन को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय डॉ छोटेलाल जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।
हाहाहा...बहुतखूब आदरणीय..क्या खूब हास्य रंग बिखेरा है..
आदरणीय सुशील जी, हास्य पैदा करना एक मुश्किल काम है और यह काम आपकी यह कविता {या संस्मरण :)))...} बखूबी करती है हार्दिक बधाई.
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सुशील सरना जी उम्दा भाव के साथ बेहतरीन सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीय सरना जी ..... हँसते-मुस्कुराते मर्मान्तक पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान करती ब्रान्डेड रचना के लिए हार्दिक बधाई...नीचे से चौथी पंक्ति... 'जीती जी' शायद 'जीते जी ' रहा होगा....सुन्दर रचना के लिए पुनः बधाई...
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