For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- बलराम धाकड़ (वो मेरे साथ था, मेरा शिकार होने तक)

1212, 1122, 1212, 22

अजीब बात है, दुश्मन से यार होने तक,

वो मेरे साथ था, मेरा शिकार होने तक।

उबलते खौलते सागर से पार होने तक,

ख़ुदा को भूल न पाए ख़ुमार होने तक।

हमें भी कम न थीं ख़ुशफ़हमियां मुहब्बत में,
हमारा दर्द से अव्वल क़रार होने तक।

तुम्हारा ज़ुल्म बढ़ेगा, हमें ख़बर है ये,
तुम्हारे हुस्न का अगला शिकार होने तक।

ख़िज़ाओं के ये दरख़्तों से कहो, ज़ब्त करें,
बचा रखें ये पत्तियाँ बहार होने तक।

हर एक ज़िद से पिघलता हूँ, ग़र्क होता हूँ, 
तुम्हारे सर पे नई ज़िद सवार होने तक।

तमाम उम्र मुझे ये कचोटता ही रहा,

मेरा वजूद मेरे तार-तार होने तक।

~मौलिक/अप्रकाशित।

~बलराम धाकड़ 

Views: 854

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on October 31, 2018 at 10:27pm

बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय नीलेश भाई।

तनाफुर का कोई बेहतर हल खोज रहा हूँ। कृपया आप भी कुछ सुझाएँ। 

बचा रखें ये पत्तियाँ बहार होने तक।...

को,

बचा के रक्खें ये पत्ते बहार होने तक।

कर लें, तो ठीक रहेगा क्या?

सादर।

Comment by Zid on October 31, 2018 at 7:37pm

That is brilliant, consistent, Intense... 

You have used shikaar as kaafiya twice!

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 31, 2018 at 1:12pm

आदरणीय बलराम धाकड़ जी बहुत ही सुंदर गजल बधाई हो 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 31, 2018 at 11:59am

आ. बलराम जी 
अच्छी ग़ज़ल हुई है .. बधाई ..
अजीब बात, साथ था.. इसके चलते तनाफुर हो रहा है ..
ख़िज़ाओं के ये दरख़्तों से कहो, ज़ब्त करें,... इन दरख्तों कहना ठीक रहता लेकिन बह्र का मसअला हो जाता 
बचा रखें ये पत्तियाँ बहार होने तक।... इस मिसरे की बह्र देख लें 
ग़ज़ल के लिए पुन:  बधाई 

Comment by Balram Dhakar on October 30, 2018 at 11:54pm

हौसला अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया, आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on October 30, 2018 at 11:53pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आदरणीय नवीन जी।

सादर।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 30, 2018 at 11:08am

हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी।बेहतरीन गज़ल।

हर एक ज़िद से पिघलता हूँ, ग़र्क होता हूँ, 
तुम्हारे सर पे नई ज़िद सवार होने तक।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 30, 2018 at 2:08am

आ0 बलराम धाकड़ जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई ।

Comment by Balram Dhakar on October 29, 2018 at 8:52pm

बहुत बहुत शुक्रिया, जनाब राज़ साहब।

सादर।

Comment by राज़ नवादवी on October 29, 2018 at 6:44pm

आदरणीय बलराम धाकड़ जी, आदाब. वाह, शेर दर शेर सुन्दर ग़ज़ल, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
24 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
39 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service