For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!...कटाक्ष.

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!

"वो भी क्या दिन थे! करुणा की कनीमोजी...बड़े खिलाडी या खिलाडियों के खिलाडी कलमाड़ी.....और टेलीकाम के एक-छत्र राजा -धिराज  यानी ए.राजा और ...'करलो दुनिया मुट्ठी में' के दो-चार बड़े बाबू... जैसे सारे लोग अपनी मुट्ठी में थे...!!!!"सर पे हाथ रख कर  आज तिहाड़ जेल की आत्मा विलाप कर रही है.उसका विलाप करना भी लाजिमी ही है.साल भर से देश की मिडिया की सुर्खियाँ बटोरने का चस्का जो लग गया था तिहाड़ को.. राजाज का छींकना...कनीमोजी के मेकअप में उंच-नीच...कलमाड़ी जी को दिल्ली की शीला के टंगड़ी मारने के किस्से ....इन सबके साथ तिहाड़ का नाम भी मिडिया की नाक तक पहुंचता था..और नाक से होता हुआ सीधासुबह के अख़बार की सुर्ख़ियों में. आखिर ये शोहरत के कीड़े भी कोई चीज हैं! जिसको एक बार काटा तो कई दिन तक जहर नहीं उतरता.अब तिहाड़ भी अपने से कोई बाहर थोड़े ही है.व्ही.आय.पी. के जेल में बटर-ब्रेड  तोड़ने के दिनों में तो जैसे तिहाड़ में बहारों का मौसम आजाता है...हर ओर चहल-पहल,टाईट  -फाइट सुरक्षा के तथाकथित  चाक-चौबंद इंतजाम..फाइलों के अम्बारों का इधर से उधर आवागमन...काले कोट वालों का आनंद मेला सा लगा रहता था.
  अब तो कौव्वें भी श्राद्ध-पक्ष की तरह इधर नहीं फटकते...काले-कोट वालों की तो दूर की बात है!!!
बाकी के छोटे-मोटे जेल मारे खुशीके बल्लियों उछल रहें है.आखिर दूसरे के दुःख में ही तो अपने  जीवन का सच्चा आनंद है भाई साहब.राजा साहब पूरी बत्तीसी हाँथ में लिये हुये  सदन में घुसे तो अखबारों/टी.व्व्ही. में ये दृश्य देख कर तिहाड़ का दिल छलनी हो गया.
राजा...कलमाड़ी...कनीमोजी ...सबको इस तिहाड़ ने बिदा कियाहै अपने दिल पे पत्थर रख कर.आखिर नौ महीने से ऊपर राजा जीतिहाड़ में थे.कोई प्री-मेचोर डिलवरी थोड़े ही है.
तिहाड़ को अपनी कोख पे फख्र भी होता है.न जाने कितने गुंडे-बदमाशों को व्हाया तिहाड़ इस देश की गद्दी संभालने का मौका दिया .तिहाड़ का सर्टिफिकेट मिला तो समझो देश की राजनीती के रास्ते सत्ता के रसीले फल खाने का उत्तम जुगाड़....
मिसा में,आपातकाल के दौरान,न जाने कितनो ने लगे हाँथ सत्ता के गंगा में डुबकी लगे और पुरखो सही तर गए.नेताओं  को वोट देनेवाले बेचारे बस घर से निकलते हैं...मतदान केंद्र में वोट डालते है और वापस पांच साल के लिये  घर में कैदे-बा मशक्कत  भोगते रहते है.उनके लिये घर ही तिहाड़ हो जाता है.
देखें अभी-अभी बाबुल का घर बिदा  हुये माननीय लोग भविष्य की राजनीती में क्या गुल खिला कर हमारे तिहाड़ का नाम कितना ऊँचा करते हैं.
उ.प्र.  में अखिलेश भाई खोद-काम करवा रहे है.देखिये किस-किस हांथी के पैर के नीचे कौन-कौन से भ्रष्टाचार के हीरे-जवाहरात निकलते है. फिर कोई तिहाड़ का भाई-बंद अपनी किस्मत की बांसुरी बजाएगा.
तिहाड़ जी अभी तो सुतली बमों से ही काम चलाओ.धमाकेदार आइटम पाईप  लाइन में हैं......
"रोता जेल तिहाड़ का,मन के भीतर आग.
राजा जी भी छोड़ गए,फूट गएँ हैं भाग."
अविनाश बागडे.

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on May 24, 2012 at 11:15pm

Ashok bhai aabhar

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2012 at 9:11pm

अविनाश जी, बहुत सुन्दर व्यंगात्मक आलेख. बधाई.

Comment by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 3:03pm
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 21, 2012 at 10:56pm

राजा...कलमाड़ी...कनीमोजी ...सबको इस तिहाड़ ने बिदा कियाहै अपने दिल पे पत्थर रख कर.आखिर नौ महीने से ऊपर राजा जीतिहाड़ में थे.कोई प्री-मेचोर डिलवरी थोड़े ही है.

तिहाड़ को अपनी कोख पे फख्र भी होता है.न जाने कितने गुंडे-बदमाशों को व्हाया तिहाड़ इस देश की गद्दी संभालने का मौका दिया .तिहाड़ का सर्टिफिकेट मिला तो समझो देश की राजनीती के रास्ते सत्ता के रसीले फल खाने का उत्तम जुगाड़....

सटीक ..समसामयिक ...व्यंग्य का पुट लिए ...आँखे खोलने को कहती रचना ....अविनाश जी ...आभार . -भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 9:46pm

Avinash ji bahut babdhiya vyng ,badhai.

Comment by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 9:44pm

"रोता जेल तिहाड़ का,मन के भीतर आग.

राजा जी भी छोड़ गए,फूट गएँ हैं भाग."|
Avinaash ji ,good satire ,badhaai
Comment by MAHIMA SHREE on May 21, 2012 at 9:04pm
"रोता जेल तिहाड़ का,मन के भीतर आग.
राजा जी भी छोड़ गए,फूट गएँ हैं भाग."..
आदरणीय अविनाश सर .. जोरदार . बधाई  आपको  
 
Comment by Shubhranshu Pandey on May 21, 2012 at 4:39pm

तिहाड....... अपने आने वाले लोगों की प्रतिक्षा में है.........

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 21, 2012 at 4:01pm

dil karta yaran dil karta 

aesa kuch kar jaaoon 

tihad jail jaaooon 

band makkhan khaoon

photo bhi chapvaun 

aapke sundar lekh ke liye

ek adhar ban jaaoon 

badhai, mahoday ji, saadar 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 2:41pm

achha hai ...............desh ki durdasha kuchh aisee hi hai .......................bahut badhiya

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
12 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service