For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूबे सिंह सुजान
  • Male
  • kurukshetra,haryana
  • India
Share on Facebook MySpace

सूबे सिंह सुजान's Friends

  • anjali gupta
  • सुरेश कुमार 'कल्याण'
  • sarita panthi
  • दिनेश कुमार
  • harivallabh sharma
  • Priyanka Pandey
  • dr. sanjiv kumar
  • बृजेश नीरज
  • satpal
  • vikram
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • Vinod Thakran
  • SUMAN MISHRA
  • ROOP CHAND
  • Sarita Bhatia

सूबे सिंह सुजान's Groups

 

सूबे सिंह सुजान's Page

Latest Activity

सूबे सिंह सुजान posted photos
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"आपका हार्दिक धन्यवाद जी।"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार बहुत बहुत धन्यवाद। मुझसे मिलकर उसने मुझको और तन्हा कर दिया। इसे यूं पढ़ें। मक्ता में कुछ दिनों से, भूलने उसको लगा था मैं, "सुजान" इसको भी ऐसे। लिखने में त्रुटि थी"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"मुझसे मिलकर उसने मुझको और तन्हा कर दिया। इसे यूं पढ़ें। मक्ता में कुछ दिनों से, भूलने उसको लगा था मैं, "सुजान" इसको भी ऐसे। लिखने में त्रुटि थी"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार आदरणीय। बहुत बहुत धन्यवाद"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"जी नमस्कार आदरणीय"
May 28, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"एक, दो जगह लिखने में गलतियां हो गई हैं।अब ध्यान दिया है। उनको कैसे ठीक करूं???"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान commented on AMAN SINHA's blog post क्या रंग है आँसू का
"बहुत सुंदर कविता"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"आदरणीय दयाराम जी आपका बहुत बहुत आभार जी।"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये
"अरे वाह वाह वाह बहुत खूब लिखा है"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान left a comment for Samar kabeer
"वाह वाह वाह बहुत खूब। ओ बी ओ"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"वाह वाह"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"अच्छी ग़ज़ल कही"
May 27, 2022
सूबे सिंह सुजान replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143
"बहुत सुंदर ख्याल आए हैं"
May 27, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
कुरूक्षेत्र,हरियाणा
Native Place
करनाल
Profession
09017609226
About me
एक अध्यापक के साथ कवि हूँ।मुख्यतया ग़ज़ल लेखन करता हूँ।एक प्रथम हिंदी ग़ज़ल संग्रह 2007( सीने में आग) में प्रकाशित हुआ तथा विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं ।

सूबे सिंह सुजान's Photos

  • Add Photos
  • View All

सूबे सिंह सुजान's Blog

ग़ज़ल : एक तन्हा ग़ज़ल रहा हूँ मैं

एक तन्हा ग़ज़ल रहा हूँ मैं

उसकी यादों में चल रहा हूँ मैं (1)

तेरी यादों में ज़िन्दगी जी कर,

ज़िन्दगी को मसल रहा हूँ मैं (2)

कैसी हो ज़िन्दगी बताओ तुम?

तेरे ग़म में उबल रहा हूँ मैं (3) 

प्यार में इक महीन सा काग़ज़,

भीग आँसू से गल रहा हूँ मैं (4) 

तुम मुझे देख मुस्कुराते हो,

सारी दुनिया को खल रहा हूँ मैं (5) 

वो मेरी राह में खड़ी होगी ,

इसलिए तेज चल रहा हूँ…

Continue

Posted on May 3, 2020 at 8:00pm — 4 Comments

ग़ज़ल -:- ख़ुद ही ख़ुद को निहारते हैं हम

ख़ुद ही ख़ुद को निहारते हैं हम

आरती ख़ुद उतारते हैं हम

फिर भी वैसे के वैसे रहते हैं

ख़ुद को कितना सँवारते हैं हम

दूसरों का मजाक करते हैं

ख़ुद की शेखी बघारते हैं हम

सिर्फ़ अपनी किसी जरूरत में

दूसरों को पुकारते हैं हम

डाल कर दूसरों में अपनी कमी

दूसरों को विचारते हैं हम

जीतने से ज़ियादा आये मज़ा

जब महब्बत में हारते हैं हम

इस खुशी…

Continue

Posted on March 22, 2020 at 2:02pm — 6 Comments

ग़ज़ल - गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

ग़ज़ल   

गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ

 

इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना

हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ 

चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं

बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ 

पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए

भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ. 

कम दिनों के लिए होते हैं वलवले

शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ   

अब न इंसानियत की हवा लग रही

इस तरफ आजकल बंद…

Continue

Posted on January 25, 2019 at 6:27am — 4 Comments

ग़ज़ल - गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

              ग़ज़ल 

गण हुए तंत्र के हाथ कठपुतलियाँ

अब सुने कौन गणतंत्र की सिसकियाँ

इसलिए आज दुर्दिन पड़ा देखना

हम रहे करते बस गल्तियाँ गल्तियाँ

चील चिड़ियाँ सभी खत्म होने लगीं

बस रही हर जगह बस्तियाँ बस्तियाँ

पशु पक्षी जितने थे, उतने वाहन हुए

भावना खत्म करती हैं तकनीकियाँ

कम दिनों के लिए होते हैं वलवले

शांत हो जाएंगी कल यही आँधियाँ

अब न इंसानियत की हवा लग…

Continue

Posted on January 24, 2019 at 9:32pm — 7 Comments

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:10am on August 17, 2016, सूबे सिंह सुजान said…
Ji
At 8:07pm on February 10, 2014, Sarita Bhatia said…

आदरणीय भाई सूबे सिंह जी हार्दिक आभार 

मेरे प्रोफाइल पर सबसे पहला कमेंट भी आपने ही दिया था आशीर्वाद स्नेह बनाये रखें 

At 8:44am on March 6, 2013, Abhinav Arun said…

आदरणीय श्री सुजान जी आपकी सशक्त रचना "कच्चा रास्ता " को माह की श्रेष्ठ रचना का  पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई और साहित्य सेवा हेतु हार्दिक शुभकामनायें भी !!

At 11:41pm on March 5, 2013,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय श्री सुबे सिंह सुजान जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "कच्चा रास्ता" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको पुरस्कार राशि रु 1100 /- और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु), तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी

At 11:09am on August 29, 2012, Naval Kishor Soni said…

आपका आभार ।

At 6:36pm on August 26, 2012, Admin said…

तरही ग़ज़ल पोस्ट करने हेतु सर्वप्रथम मुख्य पृष्ठ पर फोरम से "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ को क्लिक कर ले, अथवा सीधे मुशायरा पोस्टर को भी क्लिक कर सकते है, उसके बाद खुलने वाले पृष्ठ पर मुशायरे के सम्बन्ध में नियम आदि की जानकारी के नीचे बने बड़े बाक्स में अपनी ग़ज़ल पेस्ट कर Add Reply को क्लिक कर ले | 

अन्य साथियों की गजलों पर टिप्पणी हेतु उनकी ग़ज़लों के नीचे रेपली बटन को क्लिक करे व खुलने वाले बाक्स में टिप्पणी पोस्ट कर सकते है | 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"आ. भाई सत्यनारायण जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
38 minutes ago
Dayaram Methani commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, गुरु की महिमा पर बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने। समर सर…"
11 hours ago
Dayaram Methani commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आदरणीय निलेश जी, आपकी पूरी ग़ज़ल तो मैं समझ नहीं सका पर मुखड़ा अर्थात मतला समझ में भी आया और…"
12 hours ago
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service