For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रौशन जसवाल विक्षिप्‍त
  • 62, Male
  • शिमला हिमाचल प्रदेश
  • India
Share on Facebook MySpace

रौशन जसवाल विक्षिप्‍त's Friends

  • AMAN SINHA
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • Dr Ashutosh Mishra
  • shubhra sharma
  • विजय मिश्र
  • अरुन 'अनन्त'
  • mamtavyas
  • Gyanendra Nath Tripathi
  • कवि - राज बुन्दॆली
  • Shanno Aggarwal
  • Saurabh Pandey
  • asha pandey ojha
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • PREETAM TIWARY(PREET)
  • Admin

आधारशिला

Loading… Loading feed

 

रौशन जसवाल विक्षिप्‍त's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
शिमला हिमाचल प्रदेश
Native Place
शिमला
Profession
Retd.
About me
साहित्‍य में रूचि

रौशन जसवाल विक्षिप्‍त's Photos

  • Add Photos
  • View All

रौशन जसवाल विक्षिप्‍त's Blog

नींद चीज है बड़ी

नींद चीज है बड़ी  उंघते रहिए

बेफिक्री में आंखे मूंदते रहिए

आग लगती है लगे हमको क्‍या

आम दशहरी जनाब चूसते रहिए

मौका मिले तो तंज कर लो

नहीं तो मस्‍ती में झूमते रहिए

आसां नहीं है अ‍हम को तोड़ना

दुनिया अजब है घूमते रहिए

अदाकार आप खूब है जनाब 

सूत्रधार की भूमिका निभाते रहिए

बातें विक्षिप्‍त की है आपसे बाहर

हंसी चेहरे पर कूटिल दिखाते रहिए 

"मौलिक…

Continue

Posted on August 11, 2013 at 8:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल

पत्ते जीवन के कब बिखर जाए क्‍या मालूम
शाम जीवन की कब हो जाए क्‍या मालूम

बन्‍द हो गए है रास्‍ते सभी गुफतगू के
अब वहां कौन कैसे जाए क्‍या मालूम

झूठ पर कर लेते है विश्‍वास सब
सच कैसे सामने आए क्‍या मालूम

दो मुहें सापों से भरा है आस पास
दोस्‍त बन कौन डस जाए क्‍या मालूम

विक्षिप्‍त की दुनिया है बेतरतीव बेरंग
कोई संगकार सजा जाए क्‍या मालूम

Posted on April 23, 2011 at 8:19pm — 3 Comments

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:51am on August 19, 2013, Dr Ashutosh Mishra said…

aapke mitron me shamil hona mere liye harsh ka bishay hai ..aap sabhee ke margdarshan se kavya yatra nirantar naye sopaan taye karegee ..saadar 

At 6:46pm on August 13, 2013, विजय मिश्र said…

भाई रौशनजी ,नमस्कार !

पहले तो आपको आपके इस विचित्र तखल्लुस [उपनाम] 'विक्षिप्त ' के चयन के लिए साश्चर्य बधाई देता हूँ,इतना तो स्पष्ट है कि जिनकी सोंच साफ़ होती है वहीं स्वेम को विचित्र घोषित करते हैं ,सामान्य के बूते का नहीं  और फिर मित्रता के आमंत्रण के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ .पुनः प्रणाम एवं शुभरात्री .

At 10:39pm on August 12, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आपका हार्दिक अभिनन्दन है।   मित्रता से  सौभाग्य का उदय होता है। आपकी मित्रता हमारे लिए दिव्य औषधि के समान है। सादर

At 8:30am on November 15, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:50pm on November 14, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 9:37pm on November 14, 2010, Admin said…

At 10:58pm on November 12, 2010, Shanno Aggarwal said…
रोशन जी, हम सभी के बीच आपका बहुत स्वागत है.
At 9:53pm on November 12, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
49 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
59 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service