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दोनों एक सांझा चूल्हे में सुलग रहे थे
नाउम्मीदी की गीली लकड़ी में
पूरी ताकत से फूँक मारी उसने
इश्क धुआं धुंआ हो गया
किसे पता था
इस धुंआ के छंटते ही
कलेजा काठ का और आँखे
पथरीली पगडंडी बन जाएंगी
जो ठीक वहीं आकर ठिठकती है
जहां रिश्ते की ताजी ताजी कब्र बनी है|
गजब के सब्र से उसने
बुझी हुई तारीखों के फूल
और कुछ लम्हों की ख़ाक
उस कब्र पर डाल दी
यह उसका आख़री निवेश था
उस दिल की सल्तनत के नाम
जिसकी वह मलका हुआ करती थी ...
Sarika

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Comment

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Comment by aman kumar on May 27, 2013 at 4:06pm

उस कब्र पर डाल दी
यह उसका आख़री निवेश था
उस दिल की सल्तनत के नाम
जिसकी वह मलका हुआ करती थी ...

बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई !

Comment by Pankaj Trivedi on May 24, 2013 at 10:51pm

अत्यंत अर्थ-मर्मपूर्ण रचना... कितने अर्थों को उजागर करती सटीक और सौम्य रचना के लिए बधाई..

विजय जी की टिप्पणी वाकई काबिल-इ-तारीफ है

Comment by Satish Agnihotri on May 24, 2013 at 10:33pm

सुन्दर रचना .. सारिका जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 10:13pm

अति उत्तम कविता आदरणीया.बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Gul Sarika Thakur on May 16, 2013 at 11:00pm

Bahut hi Abharee hun aap sabhee ..is hausla afjaai ke liye kyaa kahun ...mujhe afsos hai main pahle kyon nahi aayee ..... mere sameecheen pathak to yahaan .. Abhaar aur swagat aap sabhee ka.. is sight se familiar nahi thee isliye katra rahee thee... 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 7:32pm

गजब के सब्र से उसने
बुझी हुई तारीखों के फूल
और कुछ लम्हों की ख़ाक
उस कब्र पर डाल दी
यह उसका आख़री निवेश था----- 
उस दिल की सल्तनत के नाम
जिसकी वह मलका हुआ करती थी ...शास्वत सत्य यही है कि कब्र पर जो भी डाले, उसके प्रति भौतिक रूप से

आखरी निवेश होता है | और वह क्षण बड़ा मार्मिक | अब न सल्तनत रही और न वह मलका | ऐसी मार्मिक

रचना के लिए बधाई 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 16, 2013 at 6:48pm
बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारेँ आ॰ गुल सारिका ठाकुर जी।
Comment by विजय मिश्र on May 16, 2013 at 4:17pm
शव्दों में जान है और अपनी बात को पूरी तरह से कहती हैं , इसे निवेश कहें या बिनिवेश , करीब आते लफ्ज बहुत बारीकी से रिश्ते को दूर करते चले जाते हैं . निश्चित रूप से एक सुन्दर कविता . साधुवाद सारिकाजी
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 2:48pm

क्या बात है सुंदर अति सुंदर
बधाई हो इस अभिव्यक्ति के लिए सादर

Comment by ram shiromani pathak on May 16, 2013 at 1:23pm

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया सारिका जी  हार्दिक बधाई आपको

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