परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 157 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |
इस बार का मिसरा जनाब 'अदीम हाशमी' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है ।
"सारी दुनिया में मगर कोई तेरे जैसा न था"
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212
बह्र-ए-रमल मुसम्मन महज़ूफ़
रदीफ़ : न था
काफिया : अलिफ़ का (आ स्वर) अच्छा,ऐसा,मेरा,साया,देखा आदि...
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 जुलाई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 29 जुलाई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
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मंच संचालक
जनाब समर कबीर
(वरिष्ठ सदस्य)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय सलिक जी नमस्कार
बहुत ही ख़ूबसूरत मतले के साथ ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये
सादर
आदरणीया रिचा जी
सादर अभिवादन
हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रियः।नवाज़िशें।
जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।
उस्ताद-ए- मुहतरम समर कबीर साहिब
आदाब
हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रियः।नवाज़िशें। मम्नून हूँ.
आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
भाई सालिक गणवीर जी, अच्छी गजल हुई है। बधाई।
आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय भाई आदाब
ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।
यक-ब-यक जाना तेरा बिलकुल तरीक़े का न था
जैसे कुछ लेना नहीं था, जैसे कुछ देना न था
( सुझाव - यक-ब-यक जाना तेरा बिल्कुल सनम अच्छा न था )
( सानी और उला की जगह बदलने से मतला और प्रभावशाली बन सकता है)
कुछ तो होगा रब्त उससे दिल बिन उसके है उदास
क्या हुआ जो हाल हम दोनों में मुँहबोला न था
( यहाँ मुँहबोला शब्द खटक रहा है क्योंकि मुँहबोला का अर्थ- मौखिक, अवास्तविक,
दिखावटी, वचन द्वारा संबंध स्थापित किया हुआ, मुँह से कहकर बनाया हुआ या माना
हुआ होता है जैसे-मुँहबोला भाई ) मुँह से बोला या ज़बाँ से बोला कहना बहतर होगा।
अपनी सूरत देखकर मग़रूर होते और-और
अच्छा ही था पास उनके कोई आईना न था
( सुझाव - अपनी सूरत देखकर मग़रूर हो जाते सनम )
ये जुदाई कैसे कटती मय भरे शीशे बिना
शुक्र है नासेह से मैंने कहा तौबा न था
( सहीह शब्द है नासिह ناصِح 22 )
खुल गया राज़े-मुहब्बत, मुझसे बस अनजाने में
आपकी रुस्वाइयों से यूँ मैं बेपरवा न था
( राज़-ए-महब्बत (इज़ाफ़त) हाईफ़न के साथ लिखें )
( मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं )
आदरणीय अमित भाई नमस्कार
आपके मूल्यवान सुझावों के लिए आभार
//( सानी और उला की जगह बदलने से मतला और प्रभावशाली बन सकता है)
मतला यूँ किया है:
जैसे कुछ लेना नहीं था, जैसे कुछ देना न था
यक-ब-यक जाना मेरी जां, ये कोई शेवा न था
//( यहाँ मुँहबोला शब्द खटक रहा है)
इसे यूँ किया है
कुछ तो होगा रब्त उससे दिल बिन उसके है उदास
तौर-ए-दुनिया से वो बेशक़ कुछ मेरा लगता न था
YA ज़ाहिराना यूँ कोई उससे मेरा रिश्ता न था
//( सहीह शब्द है नासिह ناصِح 22 )
इसे यूँ किया है
ये जुदाई कैसे कटती मय भरे शीशे बिना
है ख़ुदा का शुक्र जो मैंने कहा तौबा न था
प्यार और शुभकामनाएँ बनाये रहिएगा. धन्यवाद
'है ख़ुदा का शुक्र जो मैंने कहा तौबा न था'
इस मिसरे में 'तौबा' शब्द स्त्रीलिंग है ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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