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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | 

इस बार का मिसरा मिर्ज़ा'ग़ालिब' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"या इलाही ये माजरा क्या है"
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
2122 1212 22/112

बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़बून महज़ूफ

रदीफ़ --क्या है

काफिया :-अलिफ़ का(आ स्वर) देखता,वफ़ा,हुआ,बुरा, भला आदि

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 26 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय अमीर जी

आभार आपका

सादर

आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।

आदरणीय दिनेश जी

बहुत शुक्रिया आपका

सादर

आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।

आदरणीय लक्ष्मण जी

बहुत शुक्रिया आपका

सादर

आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।

आदरणीय मिथिलेश जी

बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए

सादर

आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय संजय जी

बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए

सादर

आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।

आदरणीय दयाराम जी

बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए

सादर

2122 1212 22

बेवफ़ाई ये मसअला क्या है

रोज़ होता यही नया क्या है

हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री
आदमी फिर बुझा- बुझा क्या है

प्यार होते ये दूरियाँ क्यों अब
देखते - देखते हुआ क्या है

ठंडे जज़्बात प्यार बाज़ारू
जुनून-ए-इश्क को हुआ क्या है

खुशबू आती नहीं फूलों से अब
बागबाँ तेरा तज़रिबा क्या है

मज़हबी लो हई सियासत यार
रंग खूँ का वो धुल गया क्या है

वक्त बदला बिका ईमाँ चेतन

अब वफ़ा का मसअला क्या है

हौसला पस्त हो गया या रब
या इलाही माजरा क्या है ( गिरह )

मौलिक व अप्रकाशित

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"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
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"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
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"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
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"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
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"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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