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thans huzur.....!
And you said absolutely right..... ! wo sher waaqai bharti ka hi hai.
क्या बात है !
कभी दिल में ’शमसी’ के आ के तो देखो
है इस में भरी ढेर सारी मुहब्बत ।
कमाल की ग़ज़ल
"kamaal " ki nahi hai ye ghazal Arvind ji.... ye to meri hi hai..... "kamaal" bechaare ko to shaayari aati hi nahi....! (hahaha........) just joking....!
THANX A LOT !
हैं सब तुझ पे शैदा, है क्या ख़ास तुझ में
ज़रा मुझ को ये तो बता री मुहब्बत !
वाह मोईन भाई ये शेर तो मुझे कुछ ज़्यादा ही अच्छा लगा...
मज़ेदार ...लिखने के लिए धन्यवाद
BHASKAR JI, SHUKRIA.
मुसीबत के कितने पहाड़ इस पे टूटे
न ज़ुल्म-ओ-सितम से है हारी मुहब्बत ।
हैं सब तुझ पे शैदा, है क्या ख़ास तुझ में
ज़रा मुझ को ये तो बता री मुहब्बत !
कभी दिल में ’शमसी’ के आ के तो देखो
है इस में भरी ढेर सारी मुहब्बत ।
मोईन जी, क्या कमाल शेर कहे है,
HAARDIK DHANYAWAAD RAKESH JI !
बहुत अच्छा प्रयास.
मोईन भाई आप की ग़ज़ल हमेशा गज़ब ढाती है इसबार भी उससे इत्तर नहीं है , बहुत ही सुंदर शे,र कही है आपने, दाद कुबूल कीजिये |
शमसी साहब बेहतरीन गज़ल. मतले ने तो मन ही मोह लिया। बधाई हो।
क्या बात है आदरणीय आज़र साहब एक एक शे’र से लगता है किसी हुनरमंद और तजुर्बेकार आदमी की ग़ज़ल है। बहुत बहुत बधाई।
उस्तादों वाली शायरी ! बहुत बढ़िया गज़ल !!
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