For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल बदला बदला सा घर नज़र आया।

2122 12 12 22

बदला बदला सा घर नज़र आया।
जब कभी मैं कही से घर आया।

बस तुझे देखती रही आँखें।
हर तरफ तू ही तू नज़र आया।

छोड़ कर कश्तियाँ किनारे पर।
बीच दरिया में डूब कर आया।

यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी।
याद मुझको तेरा हुनर आया।

नींद गहरी हुई फिर आज "कमाल"।
ख्वाब उसका ही रात भर आया।

मौलिक एवम अप्रकाशित
केतन "कमाल"

Views: 1070

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on December 26, 2014 at 11:26pm

bahut hi khoob gazal kahi hai ketan saab ...............baki .....matra girana aur uthana meri samajh ke bahar hai ...man ko jo bhi aachha lage mere lihaz see vohi zyada behtar aur sunder hota haia ...gazal ki tachnicality to gurujan zyada achha hi bata sakte hai 

Comment by Anurag Prateek on December 22, 2014 at 6:56am

2122- 1212-  22

बदला बदला सा घर नज़र आया। 
जब कभी मैं कही से घर आया।-- बहुत खूब 

बस तुझे देखती रही आँखें। ( रहीं )
हर तरफ तू ही तू नज़र आया।-- अच्छा है 

छोड़ कर कश्तियाँ किनारे पर। 
बीच दरिया में डूब कर आया।-- लहज़ा अटपटा है / किनारे से सीधे दरिया कैसे पंहुच गए/ तैर  कर आते हैं - डूब कर नहीं 

यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी। - /'जानता हूँ कि  ऐब हैं तुझमें' -- ये सॉफ्ट है 
याद मुझको तेरा हुनर आया।/ याद हरपल  तेरा हुनर आया।

नींद गहरी हुई फिर आज "कमाल"। // गहरी नींद में ख्वाब नहीं आते, जनाब 
ख्वाब उसका ही रात भर आया।

माज़रत के साथ 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 10, 2014 at 6:32pm
बहुत सुन्दर वाह!

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 10, 2014 at 3:16pm

//यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी।
याद मुझको तेरा हुनर आया।//

वाह वाह वाह !! क्या ही दनिश्वराना ख्याल है केतन कमाल साहिब, वाह। बाकी अशआर भी दिल छूने वाले हुए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 9, 2014 at 12:25am

अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई 

बेहतरीन शेर 

यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी। 
याद मुझको तेरा हुनर आया।

Comment by Ketan Kamaal on November 25, 2014 at 5:57pm

Shukriya Meena Pathak Ji aapka Nawazish

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:13pm

अति सुन्दर ..बधाई 

Comment by Ketan Kamaal on November 25, 2014 at 12:21pm

Shukriya Rajesh Kumari Ji Ram Pathak Bhai Shukriya aapka 

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 12:21pm
वाह केतन भाई बहुत खूब।।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 12:02pm

वाह्ह्ह्ह केतन जी बहुत खूब सूरत ग़ज़ल हुई है 

छोड़ कर कश्तियाँ किनारे पर। 
बीच दरिया में डूब कर आया।

यूँ हज़ारो हैं ऐब तुझमे भी। 
याद मुझको तेरा हुनर आया।---वाह शानदार अशआर कहे 

मक्ता के उला में अलिफ़ वस्ल का प्रयोग हुआ है जो दुरुस्त है 

रही बात मतले में बदला बदला में पहले बदला की मात्रा को गिरा कर पढ़ सकते हैं दुसरे बदला की नहीं ...अपने लघु ज्ञान के हिसाब से कह रही हूँ बाकि जो अन्य विद्वद्जन ग़ज़ल के पारखी कहेंगे उन पर भी गौर करियेगा 

बहरहाल दिली दाद कबूल कीजिये  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service