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वाह आ० गोपाल सर! देर से हुयी पहचान, पर सही हुयी! हार्दिक बधाई! सादर!
पहचान(प्रथम प्रस्तुति)
कभी खूबसूरत कदकाठी का मालिक सुरेश गाँव से शहर की ओर चल पड़ा अपनी पहचान बनाने को I कालेज में एड्मिशन के दौरान एक सहपाठिनी ‘दामिनी’ से उसकी मुलाक़ात हुई I “ जो कालेज में लड़कों के जज्बातों से खेलने के लिए मशहूर थी “ I एक तरफा प्यार का खेल की दिनों तक चलता रहा और एक दिन उसने उस नवयुवक को भरी क्लास में एक जोरदार तमाचा रसीद दिया “ प्यार और तुमसे कभी शक्ल देखी हैं तुमने “ नश्तर से चुभते हुए उसके शब्दों ने अनायास ही कब उसके क़दमों को धुंआ उड़ाते और शराब के ग्लासों को हलक से उतारने वालों की जमात पर लाकर खड़ा कर दिया उसे पता ही नहीं चला I आज सालों बाद उस लड़की ने अपने इंस्पेक्टर पति के सामने उसको ना सही उसकी लाश को तो पहचान दे ही गई थी ---“ लावारिस नशेड़ी कहीं का ....! ”
(मौलिक और अप्रकाशित)
धन्यवाद आदरणीया mala जी
आदरणीय पंकज जोशीजी, आपकी लघुकथा के लिए बधाई.
“ जो कालेज में लड़कों के जज्बातों से खेलने के लिए मशहूर थी “
इस पंक्ति को इन्वर्टॆड कॉमा में क्यों रखा गया है ? यहकिसी कथन हो ऐसा तो दिखा नहीं.
शुभेच्छाएँ
आदरणीय Saurabh Pandey sir ji धनयवाद आपका
अच्छी लघु कथा है अंतिम पंक्ति दिल को छू गई ...आज कल के युवा वर्ग भावुकता में ऐसे कदम उठा लेते हैं आत्महत्या करते वक़्त उनकी भी नहीं सोचते जिन्होंने उसे जन्म दिया है उस एक तरफ़ा प्यार या कहो बेवफाई से कौन बर्बाद हुआ ?माँ बाप तो जीते जी मर जात हैं |बहुत बहुत बधाई आपको पंकज जी
धन्यवाद आदरणीया rajesh kumaari ji
पंकज जी
इकतरफा प्यार में आत्महत्या -- विषय पर अच्छे लेखनी चलाई आपने. सादर .
धन्यवाद आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
एक निश्चित प्रकार का एकपक्षीय प्रेम जिसका परिणाम भी निश्चित होता है
आदरणीय पंकज जी बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर
इन्वर्टेड कॉमा कुछ अधिक और गलत लग गए है देख लीजियेगा.
सादर
धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , में आपके सुझाव पर आगे से ध्यान रखूंगा
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