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हार्दिक बधाई आदरणीय उपमा जी!!बहुत सुंदर लघुकथा !
हार्दिक बधाई आदरणीया उपमा जी इस सुंदर रचना के liye
आदरणीय उपमा जी आप की लघुकथा बहुत उम्दा हुई है. केवल अंत में थोडा बदलाव की गुन्जाइस है. बधाई आप को इस सटीक व सार्थक लघुकथा के लिए.
वाह वाह बहुत ही सटीक सार्थक व्यंग हुआ इस लघु कथा के माध्यम से और उल्लू वाली पंक्ति तो कहानी को और विशिष्ट बना रही है ..हार्दिक बधाई उपमा जी
वाह आदरणीया उपमा जी ,क्या ही बढ़िया शाब्दिक किया है आपने आज के हालात को हार्दिक बधाई स्वीकारें इस प्रस्तुति पर
वाह । बहुत खूब । अक्सर कहा जाता है कि लघुकथा के रचना विधान में जितनी कसावट होती है वह रचना उतनी ही श्रेष्ठ मानी जाती है, लघुकथा शीर्षक से लेकर अंत तक लेखकीय उर्जा की परीक्षा हाेती है। आपकी प्रस्तुत लघुकथा न केवल प्रदत्त विषय से न्याय कर रही है बल्िक अल्प शब्दों में रची इस कथा में निहित संदेश भी सुस्पष्टा से उभर रहा है। असीम शुभकामनाएं
उम्दा कथा कही आपने "राजनीतिक शतरंज के इस खेल में कच्ची गोटी कोई भी दल नहीं चला है" सारा कथासार आ गया इसमे
// वह जनता की बेवकूफी का जमकर मजाक उड़ा रहा था।//--------इस पंक्ति की बिलकुल जरुरत नहीं है उपमा , ये उल्लू ही सब कुछ कह गया। गजब की लघुकथा हुई है ये। मैं गर्व से भर गयी पढ़ते हुए। ढेरों बधाई स्वीकार करो।
लघुकथा के अंत में बिम्बात्मक प्रयोग अच्छा लगा, आदरणीया उपमाजी. हालाँकि यह घटना या परिदृश्य हमारे-आपके जीवन में इतना आम हो चुका है कि इसके प्रति संवेदना ही मर-सी गयी है. किन्तु, यह भी सही है कि हमारा लोकतंत्र इन सड़सठ सालों में चाहे जो भी हुआ हो बिफरा हुआ जवान हो रहा है.
शिल्पगत तौर पर सार्थक इस लघुकथा प्रस्तुति केलिए दिल से बधाई.
"बाज़ी बिसात की"
"नहीं मुकुंदी बाबू ३२ गुण ही मिल रहे है,लाल पूजा आ रही है,'जो सही नहीहै,"
"आप पंडित जी ज़रा फिर से जाँचिये कुंडली।"
धीरे से मुकुंदी बाबू ने करारे,करारे लाल नोट की गड्डी आगे खिसका दी, गड्डी देखकर पंडित जी निहाल हुये जा रहे थे ।
"छोटी सी पूजा संपन्न करवा लें यजमान तो सब अच्छा हो सकता है,"
"यही तो हम कह रहे है पंडित जी जो हम कह रहें है वही सही है।
पूजा छोटी हो या बड़ी हम रूपये ख़र्च करने तैयार है,बड़ी मुश्किल से अच्छा लड़का,रिश्ता हाथ आया है हाथ से नहीं जाने दे सकते।" मुकुन्दी बाबू ने कहा।
तभी तिवारी जी सपत्निक प्रकट हो गये ।बैठते साथ ही बोल पड़े
"ये पंडित जी आपके ही नहीं हमारे भी पंडित जी है। हम रिश्ता करने तैयार नहीं है। बच्चों की ज़िंदगी अनमोल है, शतरजीं चाल नही, क्षमा कीजियेगा,सौभाग्य से समझौता हमें मंज़ूर नही ।
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