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आदरणीय रतन जी, आपने बहुत बढ़िया कथानक बुना है. यद्यपि सन्देश नकारात्मक दिखाई दे रहा है किन्तु गहरे से देखें तो कही न कही व्यंग्य का बिंदु भी मिल रहा है. नोक झोक में वास्तविकता उद्घाटित करती बढ़िया लघुकथा. हार्दिक बधाई
आदरणीय रतन राठोड जी आप की लघुकथा अन्दर तक प्रभावित कर गई .बधाई इस शानदार लघुकथा के लिए.
आ.रतन जी बडी अहम बात कह दी आप ने यहा " जीवन साथी हूँ इसलिए कह रही हूँ आपको परेशान देखकर।" पत्नी ने सुझाव देते हुये कहा। बधाई आपको
सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई आदरणीय रतन राठौड़ जी।सादर
लघुकथा अच्छी है भाई रतन राठौड़ जी, लेकिन यह बात कुछ हजम नहीं हो रही कि साईं उम्र नौकरी करने वाले आदमी को उसकी बीवी ये समझाए कि चपरासी के हाथ बड़ा पत्ता टिका देनाI वैसे भी अगर लघुकथा का सार देखा जाए तो इसका मूलभाव पत्नी द्वारा सुझाई एक "जुगत" है, यह रचना साथी शब्द की तह तक नहीं पहुँच पाई हैI
आजकल के माहौल में व्याप्त भ्रस्टाचार को दर्शाती सुन्दर रचना, बधाई आपको
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