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बहुत बढ़िया रचना, समय रहते अगर आत्मवलोकन नहीं किया तो क्या फायदा| बधाई इस रचना के लिए
आदरणीय मुज़फ्फर इकबाल जी बहुत सूंदर बात कही है, समय निकलने के बाद पछाताने के अलावा कुछ नहीं बचता है.
अच्छा प्रयास है, हार्दिक बधाई स्वीकारें।
अच्छी लघु कथा लिखी आपने हार्दिक बधाई मोहतरम .
आदरनीय मुजफर इक़बाल जी, इस सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीय मुज़फ्फर इक़बाल साहब, बहुत ही अच्छी रचना कही है| तरक्की के नशे में अपने साथियों को भूल गए, वक्त पर न समझा तो कब समझे| सादर बधाई स्वीकार करें|
ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठो अंक 11 मे प्रतिभागिता हेतु सभी सुधि साथिओं का हार्दिक आभार। अगले अंक में 30 से 31 मार्च 2016 को पुन: भेंट होगी। जय ओबीओ, जय माँ भारती.
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