आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी!हृदय स्पर्शी और मार्मिक प्रस्तुति!
//तस्वीर के नीचे लिखा था –‘माँ को तो मैंने कभी जाना नहीं, यह तस्वीर मेरी दादी की है’//
तस्वीर के नीचे लिखा था –‘दादी माँ’ इससे भी काम चल जाता
//बच्चे हामिद ने एक बार फिर बूढ़े हामिद का पार्ट खेल दिया था, // यह पार्ट पाठकों को समझने दीजिये.
सुन्दर प्रयास हुआ है, लघुकथा तनिक और कसावट चाहती है, बहरहाल बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी.
गजब के कथानक का चयन किया है आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सर, जिस हेतु सादर बधाई स्वीकार करें|
आदरणीय गोपाल सर, हामिद का चिमटा के बाद हामिद की कूची भी कमाल कर गई. बहुत बढ़िया कथानक बुना है आपने. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई सादर
‘असली तस्वीर’
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“क्या कह रहे हो रोमिल ये भी कोई तरीका है पैसे बनाने का ये सच है कि मेरी भी विदेश जाकर जॉब करने की इच्छा है किन्तु मेरी अकेली माँ अपने गुजारे लायक ही करले वही बहुत फिर ये अनैतिक भी तो है क्या तुम्हारी तरफ से भी कोई इतनी मदद नहीं कर सकता ?”रूही ने कहा|
“नहीं सिर्फ यही एक तरीका है फिर कुल नौ दस महीने की बात है किसी को पता भी नहीं चलेगा मैं आता जाता रहूँगा| यहाँ पर व् घर पर बता दूँगा कि तुम्हारी नौकरी लग गई है छुट्टी पूरे एक साल बाद मिलेगी |पैसे मिलते ही हम शादी करके विदेश चले जाएँगे और तुम्हारी माँ को भी साथ ले जायेंगे सच में रूबी जिन्दगी बन जायेगी वो इतना पैसा दे रहे हैं कि तुम सपने में भी सोच नहीं सकती बस हाँ कर दो”
तिल तिल कर उस बीज को जिसके मालिक को न देखा न सुना रोपित करने में वक्त कितनी मुश्किल से गुजरा बस वही तो जानती है और फिर जब वो बीज पौधा बनकर दुनिया में आया उसकी शक्ल भी तो देखने को नहीं मिली कितना नर्स से मिन्नतें की किन्तु आर्डर नहीं है ये कह कर चुप कर दिया सिर्फ उसके नन्हे जिस्म. उसके सिर हाथ पैरों की छुवन को ही महसूस किया उसके शरीर ने उसकी दयनीय प्रार्थनामयी किलकारी ही सुन पाई थी वो |
चार दिन बाद तुम्हें डिस्चार्ज किया जाएगा पूरा पेमेंट तुम्हारे साथी को कर दिया गया है ये कहकर उसे सोने का इंजेक्शन देकर उसके प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया गया| रोमिल कही आस पास भी नजर नहीं आया| शुरू में पल पल इन्तजार किया फिर अकेले ही इतना लम्बा सफ़र कर मौन का आवरण ओढ़कर वापस आकर सबसे पहले रोमिल की कंपनी में पँहुची वहाँ उसके साथियों ने बताया कि कुछ रोज पहले वो यू.के. चला गया है वहाँ से उसकी प्रेमिका ने पैसों का व् नौकरी का सारा इंतजाम कर दिया था वो वहीँ सेटिल होने की बात कह कर गया है|
आत्मग्लानि व् क्रोध के नाग ने मानों असंख्य बार डस लिया हो उसके आँसुओं को भी अन्दर ही अन्दर लील लिया इस तरह एक जीती जागती जिंदगी पत्थर बन गई |
छन्न... छन्न..छनाक,,,की आवाज गूँजते ही माँ दौड़ कर उसके कमरे में आई और उसे हिला कर बोली “कहाँ खोई है क्या हो गया मेरी बच्ची जब से आई है कुछ बोलती भी नहीं रोमिल भी फोन नहीं उठा रहा क्या हो गया तुझे क्या तुम दोनों के बीच कोई झगड़ा हुआ है क्या? तुम दोनों की शादी के दिन भी नजदीक आ रहे हैं मेरा दिल घबरा रहा है बेटी,
कितना तूफ़ान है बाहर अरे ये देखो हवा से तुम्हारे रोमिल की तस्वीर भी गिरकर टूट गई ये भी नहीं देख रही हो क्या”?
“अच्छा हुआ टूट गई कचरे में फेंक दो माँ, तपाक से कहते हुए रूही अपना पर्स उठाकर चुन्नी ओढ़कर बाहर जाने लगी तो माँ ने पूछा “अब इस तूफ़ान में कहाँ जा रही हो”? “
“इससे बड़ा तूफ़ान तो मेरी जिंदगी में आ चुका है माँ पुलिस स्टेशन जा रही हूँ इसकी असली तस्वीर का टूटना बहुत जरूरी है” जमींन पर पड़ी रोमिल की टूटी हुई तस्वीर को घ्रणात्मक नजरों से देखते हुए रूही तेजी से बाहर निकल गई|
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मौलिक एवं अप्रकाशित
आ० उस्मानी जी ,बहुत बहुत आभार आपका .
आ० समर भाई जी ,लघु कथा आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका .
ओह !अत्यंत मार्मिक कथा आदरणीया राजेश कुमारी जी, अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए पुरुष के चारित्रिक पतन की पराकाष्ठा को दर्शाती बढ़िया कथा ।
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