आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत उम्दा प्रयास आदरणीय सुनील भाई ।
लग रहा है नौकरी पेशा ये महिला किसी प्रकार का षड्यंत्र रच रही है नए शहर में. शायद सिन्दूर और मंगलसूत्र का उसमें कोई अहम् भूमिका है.
भाई सुनील वर्मा जी, मेरी तुच्छ राय में आप उन गिने चुने लोगों में से हैं जोकि बेहद प्रतिभाशाली और संजीदा हैंI यदि ध्यान इधर-उधर भटकाए बगैर अगले पाँच साल तक लगातार आप इस विधा के प्रति समर्पित रहे तो मुझे रत्ती भर भी शक नहीं कि इस विधा का बहुत भला होगाI बहरहाल, आपकी यह लघुकथा स्वतंत्र रूप में काफी हद तक सफल है, लेकिन प्रदत्त विषय की दृष्टि से देखा जाए तो 2 बार “षडयंत्र” शब्द प्रयोग करने के बावजूद भी रचना प्रदत्त विषय से बहुत दूर रह गईI यह तो एक उम्रदराज अविवाहित लड़की द्वारा की गई चारागोई है या लोगों के तानो से बचने के लिए की गई बचाव की कवायद हैI इसे षडयंत्र कैसे कहा जा सकता है? इसके इलावा:
1. आज के दौर में 35 साल की उम्र कोई बहुत ज्यादा नहीं मानी जातीi
2. दफ्तर में काम करने वाली नौकरी पेशा लड़की में ये हीन भावना अटपटी लगती हैI
3. सिन्दूर लगा लेने या मंगलसूत्र पहनने से क्या वो सुरक्षित हो गई? क्या उत्पीडन केवल अविबाहित महिलायों का ही होता है?
4. नए शहर और नए लोगों के बीच (जोकि सम्भवत: अजनबी ही होंगे) ऐसा करने का क्या औचित्य है?
6. लड़की नौकरीपेशा है तो ज़ाहिर है कि पढ़ी लिखी भी होगी, तो उसका शादीशुदा का वेश बनाना क्या नारी को कमज़ोर दिखने का प्रयास नहीं है? नारी को कमज़ोर दिखने से क्या गलत सन्देश नहीं जायेगा?
लास्ट बट नॉट दि लीस्ट; लघुकथा के प्रारंभ में जो आपने ये कहा है:
//बालों को तरीके से सँवारकर उसने उन्हें पीछे ले जाकर जूड़ा बनाया। दोनों हाथों में एक-एक कड़ा पहना और आँखों में काजल की हल्की लकीर बनायी। खुद को शीशे में निहारा। कुछ कमी पाकर हाथों ने जैसे ही सिंदूर की डिब्बी की तरफ हाथ बढाया//
क्या यह लम्बी डिटेल ज़रूरी थी? क्या इसको संक्षेप में नहीं कहा जा सकता था?
मेरा जवाब है "नहीं" !! अगर सीधे साधे मेकअप करने की बात कह दी जाती तो वो दृश्य चित्रण न हो पाता और वो कथारस न आ पाता जोकि आवश्यक थाI इस बार बधाई नहीं दूँगा, हाँ ! आयोजन में सहभागिता हेतु अभिनन्दन अवश्य स्वीकारें!
आशीर्वाद + शुभकामनाएँ = 24X7 आपके साथ, आश्वस्त रहें भाईI
ये कहा जाता है कि शायद शादीशुदा लड़की को थोड़ी सुरक्षा रहती है, कुंवारी लड़की के बनिस्पत और यही है आपकी रचना का भाव| बढ़िया रचना विषय पर, बधाई
सुरक्षा के लिए खुद का खुद से किया गया छद्मावरण का षड्यंत्र प्रभावी है सुनील जी,बधाई स्वीकारें।
आदरणीय सर जी की विस्तृत समीक्षा न सिर्फ आपको, सभी को गंभीर चिंतन एवं लेखन हेतु मार्ग दर्शक है।
विशेषकर आपको मिला आश्वासन सोने पर सुहागा है ।बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
जनाब सुनील साहिब , प्रदत्य विषय को परिभाषित करती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय सुनील जी, सुरक्षा के लिए षड्यंत्र विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. हार्दिक बधाई ..... आदरणीय योगराज सर से विस्तृत मार्गदर्शन मिलना आपके लिए इस आयोजन की उपलब्धि मानिए. सादर
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