आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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न जाने कितने पढ़े लिखे लोग भी इन बाबाओं के झांसे में आ जाते हैं ऐसी पढ़ाई लिखाई किस काम की अच्छा हुआ सास ने अपनी समझ्दारी का परिचय दिया |इन बाबाओं की दुकान के पीछे बहुत कुछ होता है | अच्छा मेसेज देती हुई इस लघु कथा के लिए बहुत बहुत बधाई आद० नयना जी |
यह विषय काफी घिसा पिटा है . आपकी प्रस्तुति अच्छी है . अंत अति नाटकीय है इसे संभालना चाहिए था . फिर भी एक अच्छा प्रयास . सादर .
लघुकथा में निहित सन्देश सार्थक हैI, किन्तु अनावश्यक विस्तार, आवश्यकता से अधिक लम्बे संवाद और टंकण त्रुटियों (पिछे-छिंटे) से रचना बिखर सी गई हैI
//" आपको भजन संगीत का शौक हो तो आइए ना , हर शुक्रवार को महाराज की गादी लगती है हमारे यहाँ. बडे पहुँचे हुए है,उन पर देवी माँ की बडी कृपा है। सुना है आप के बच्चा नही हो रहा. बार-बार गर्भपात हो जाता है। क्या समस्या है। जब धरती पर गिरने वाला बीज खराब हो ना तो... एक बार आओ उपासना में। माँ ने चाहा तो जल्द ही गोद भर जाएगी महाराज साहब के आशीर्वाद से। "// (78 शब्द).
बहरहाल, सहभागिता हेतु बधाई स्वीकार करेंI
आ. योगराज भाई जी प्रणाम, सबसे पहले तो मै नये कथानक के लिए जुझती किंतु सफ़लता ना मिलने पर अंतिम क्षणॊं मे यह रचना टाइप की गई थी.टंकण त्रुटियों के लिए वाकई मै क्षमा प्रार्थी हूँ. संकलन तक इसे ठीक कर लूँगी.
रही लंबे संवाद की बात तो दर असल मुझे यह बताना था कि एक तथाकथित नया ग्राहक जो वाकई किसी समस्या से जुझ रहा है उसे फ़ासने की आतुरता मे सब कुछ जन्मकुंडली सा खोलकर भावनात्मक चोट पहूँचाना ही इन लोगो का उद्देश्य होता है. सो संवाद लंबा हो गया. यहाँ कही संप्रेषण मे कमी रह गई कोशिश करती हूँ इस पर चिंतन कर संवाद छोटे कर सकूँ. सादर आभार
आरणीय ताई ! लघुकथा पर्दे के पीछे विषय को सार्थक कर रही है परन्तु कथानक की नवीनता के कारण कथा प्रभावित नहीं कर पाई। सादर
आ.रवि दादा रचना ने आपको प्रभावित नहीं किया इस हेतु क्षमा. वाकई अंतिम क्षणो की रचना है ये और आज तो पर्दे के पिछे का झूट बोलकर आफ़िस से भागकर आई हूँ कि अगर मैने सभी रचनाओ पर प्रतिक्रिया नही दी तो ओबीओ मुझे निकाल बाहर करेगा. :P
संकलन तक पुन: जोर लगाती हूँ इसे ठीक करने में
ये तथाकथित बाबा धर्म की आड़ में भक्तों के डर व् दुखों को भुनाते हैं ... इनके साफ़ सुथरे नकाब के पीछे बहुत कालिख होती है ..हार्दिक बधाई प्रेषित है इस सार्थक कथा के लिए आदरणीया नयना जी
मोहतरमा नयना आरती साहिबा ,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती तथा सन्देश देती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बढ़िया कथा हुई है आदरणीया नयना ताई | बधाई स्वीकारें |
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