आदरणीय साथिओ,
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आ० अनुज , बढ़िया कथा . सभी की प्रतिक्रियाये भी है कोइ कमी भी नहीं पर मेरी अपेक्षाएं आपसे और बेहतर की है . सादर .
बहुत बहुत आभार आ डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई , सादर।
मिसाल
पहली तस्वीर/ लगातार चार वर्ष चले केस का फैसला आज आ ही गया।
दूसरी तस्वीर/ जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती रश्मि मंडलोई ने आभास गुलाटी की घरेलू नौकरानी रौशनी और उसके पति मोती को नकदी, आभूषण और अन्य घरेलू सामान चुराने के आरोप में तीन वर्ष के कठोर सश्रम कारावास की सज़ा का ऐलान किया। दोनों फफक-फफक कर रोने लगे। अदालत का माहौल ग़मगीन हो गया। लेकिन अचानक माहौल फिर बदला। आभास गुलाटी की तरफ से उनके वकील ने एक शपथ-पत्र पेश किया। शपथ-पत्र सबको चैंकाने वाला था।
आभास गुलाटी ने अपने शपथ-पत्र में कहा कि वे रौशनी और मोती की पाँच वर्षीय बेटी तनु को अपने पास तब तक रखेंगे जब तक कि रोशनी और मोती तीन वर्ष की सज़ा काट कर नहीं आ जाते। वे उसके पालन-पोषण और शिक्षा का पूरा खर्चा स्वयं वहन करेंगे। जज साहिबा ने शपथ-पत्र स्वीकार कर लिया। अब स्वयं जज साहिबा की भी आँखें नम थी। अदालत में उपस्थित सभी आभास गुलाटी की मानवीयता के आगे नतमस्तक थे। सभी यही कह रहे थे कि इस कलयुग में मानवीयता की ऐसी मिसाल।
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मौलिक एवं अप्रकाशित
माँ बाप की करनी का फल बच्चों पर क्यों पड़े, बढ़िया सकारात्मक रचना विषय पर| बहुत बहुत बधाई
आदरणीय आरिफ़ जी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर
मानवता का यह दूसरा रूप बहुत अच्छा लगा, रचना प्रभावशाली हुई है जिस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारे आ० मोहम्मद आरिफ साहिबI लेकिन मुझे इस लघुकथा को दो तस्वीरों में बांटने का औचित्य समझ नहीं आयाI भाई उस्मानी जी की बात से मैं भी सहमत हूँ, मुझे भी जज साहिबा की भी आँखें नम होने के बाद वाली दोनों पंक्तियाँ अनावश्यक लगींI
लीक से हटकर अलग अंदाज़ में लिखी बहुत प्रभावशाली रचना ..प्रदत्त विषय को सार्थक करती ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी
आभास गुलाटी ने वो सब किया जो मानवता के नाते करना चाहिए था अपराध के लिए दंड भी मुक़र्रर करवाया तथा निर्दोष बच्चे का सहारा भी बना तस्वीर के ये दोनों रुख सराहनीय हैं बहुत बहुत बधाई मोहतरम मुहम्मद आरिफ़ जी
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