आदरणीय साथिओ,
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भाई सुनील वर्मा जी की तरह ही मुझे भी रचना को पढ़ते समय यही प्रतीत हुआ कि जैसे पढ़ने के साथ साथ देख भी पा रहा हूँ| बेहतरीन सृजित इस रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें भाई सुधीर जी|
आदरणीय सुधीरद्विवेदी जी पतिपत्नी की नौकझोक की सुंदर भावाभिव्यक्ति. बधाई आप को.
हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर जी, बेहतरीन प्रस्तुति।पति पत्नी की रोज़मर्रा की छोटी मोटी नौंक झोंक का बेहतरीन एवम यथार्थ चित्रण।
बहुत ही सधी हुई लघुकथा हुई है सुधीर भाई । एक एक शब्द तौल कर लिखा है । शीर्षक से अंतिम पंक्ित तक बहुत ही प्रभावशाली लघुकथा । सादर शुभकामनाएं
दाम्पत्य का सच्चा सुख इन्ही बातों में ही तो छुपा है। बहुत बधाई इस इस मनभावन रचना के लिए
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