आदरणीय साथिओ,
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प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया संदेशप्रद लघुकथा है आ. नयना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
हार्दिक बधाई आदरणीय नयना जी । बेहतरीन लघुकथा।
बहुत बढ़िया संदेशपरक लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० नयना जी
मैं तो दूसरी बार उस अनावृत विशाल व्यक्तित्व के सागर में डूबकी लगा रही थी.// बहुत खूब , दिल को छू लेनेवाली कथा ,प्रदत्त विषय से पूरा न्याय करती , हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया नयना जी
वाह| एक सास की छवि को सकारत्मक रूप देकर बहुत ही सुंदर तरीके से लघुकथा कही है आपने आदरणीया नयना ताई| कथा मुझे पसंद आई\ सादर| बधाई स्वीकारें इस कथा के लिए|
मुह्तरमा नैना साहिबा , प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई
है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ
विषय को परिभाषित करने का सफल प्रयास। परन्तु कालखंड आभासित हो रहा है। सादर
आ. रवी दादा इन्कमटैक्स रिटन की फ़ाईलिंग डेट बढ जाने से मुझे मौका मिल गया यहाँ आने का. आपको कहाँ कालखंड दोष आभासित हुआ अगर बता सके तो रचना के सुधार में सहयोग मिलेगा. वैसे रचना में सासू माँ के बारे में जो बताया जा रहा वो एक प्रवाह में है तथा /// वह एक रौ में बोलती चली जा रही थी का वाक्य जोडकर उस क्षण को उथाने की मैनें पुरी कोशिश की है. आप मार्गदर्शन करे तो अवश्य संकलन में सुधारित आवृत्ती लाती हूँ .सादर आभार
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