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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-96

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 96 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक़ गोरखपुरी  साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"रात है नींद है कहानी है "

2122   1212      22

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन 

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)

रदीफ़ :-है 
काफिया :- आनी  (कहानी, पुरानी, निशानी, आनी, जानी, दीवानी आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | इस बार मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 जून दिन बुधवार को हो जाएगी और दिनांक 28 जून  दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 जून दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आ. भाई आकर्षण जी, गजल के प्रयास के लिए बधाई । गुणीजनों का संज्ञान अवश्य लें ।

मुशायरे में शिरकत हेतु बधाई आपको, आ. आशीष श्रीवास्तव जी और आ. निलेश भाई की बात संज्ञान लीजिएगा

'आशीष श्रीवास्तव' नहीं शिज्जु भाई,ये 'आकर्षण'जी की ग़ज़ल है ।

जनाब आकर्षण साहिब, ग़ज़ल की अच्छी कोशिश, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं | ग़ज़ल वक़्त चाहती है, कई जगह बहर चूक रही है   , नादानी और पेशानी क़ा फिया सही नहीं है |क़र्ज़ शब्द पुललिंग है |

मेरी जानकारी के अनुसार तरही मिसरा पहले शे'अर यानि मतले में नहीं लेना होता है। बढ़िया प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय  Aakarshan Kumar Giri साहिब।

वाह शानदार ग़ज़ल.... बस दो शेर,,,,,, है-है ,,,,,, दोषमुक्त किया जा सकता है,,,,,

प्यार की इक हसीं निशानी है

जो मुझे आपको दिखानी है

लफ्ज़ दर लफ्ज़ याद है मुझको

बात बेशक बहुत पुरानी है

हर तरफ ज़िक्र यूँ उसी का था

जब मिला तो लगा दिवानी है

दर्द का अब्र सा उठा ऐसा

हो गई शाम फिर सुहानी है

इक मजा सा छुपा फ़साने में

रात है नींद है कहानी है

जान लेते हो राज़ इक पल में

आप से बात क्या छुपानी है

फ़िक्र के जिक्र से हुआ “तन्हा”

किस तरह बात लब पे लानी है

मौलिक व अप्रकाशित

मुनीश “तन्हा” नादौन  

जनब मुनीश तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

तीसरे शैर का सानी मिसरा:-

'जब मिला तो लगा दिवानी है'

इस मिसरे को यूँ होना था:-

'जब मिली तो लगी दिवानी है'

आदरणीय मुनीश 'तन्हा' जी, उम्दा पेशकश के लिए हार्दिक बधाई

वाहहहह, अच्छे अशआर कहे हैं आपने,
*हो गई शाम फिर सुहानी है*...

ये मिसरा ज़रा सी मश्क़ चाहता है

बहुत अच्छी ग़ज़ल श्रीमान।

//आप से बात क्या छुपानी है// विशेष

बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही , आदरणीय तन्हा जी । मुबारकबाद !

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आवश्यक सूचना:-

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