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शे'अर-दर-शे'अर बेहद गंभीर बात और संदेश सम्प्रेषित करती बेहतरीन ग़ज़ल। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नीलेश शेव्गांवकर साहिब।
शुक्रिया आ. शेख शाहज़ाद उस्मानी साहब
आद0 नीलेश भाई जी सादर अभिवादन। मतले से मकते तक बेहतरीन ग़ज़ल मिली पढ़ने को।
ऐब मुझ में सभी उसी के हैं
जिस के हाथों घड़ा गया है मुझे (गढ़ा गया है मुझे)
वाह वाह वाह वाह..
गिरह भी बाकमाल का
शैर दर शैर दाद के साथ बधाई और मुबारकबाद
शुक्रिया आ. सुरेन्द्रनाथ सिंह जी. गढ़ा और घड़ा में कन्फ्यूज्ड था.. घडा लिख दिया.. :)
शानदार ग़ज़ल हुई है !!!
शुक्रिया आ अजीत जी
आ. भाई नीलेश जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
शुक्रिया आ. लक्ष्मण जी
आदरणीय नीलेश भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद कबूल कीजिए
शुक्रिया आ. अमित जी
वाह आह आदरणीय नीलेश सर , बहुत खूबसरत ग़ज़ल कही है आपने । सभी अशआर बेहतरीन , आखिरी तीनों बेहद पसंद आए , बहुत बहुत बधाई
शुक्रिया आ. गुरप्रीत सिंह जी
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