For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26200

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ० मुनव्वर जी अच्छे शेर कहने के लिए बधाई स्वीकार करें

जनाब मुनव्वर अली ताज साहब ...क्या कमाल के अशआर कहे हैं ..तीनों मतले इस ग़ज़ल की शान हैं ...ढेर सारी दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|

वाह वाह जनाब मुनव्वर साहब, बहुत ह कामयाब ग़ज़ल हुई है, चौथे और छठे शेर को तकाबुले रदीफ़ की नज़र से देख लीजियेगा, बहुत बहुत बधाई।

वाह वाह ! बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय मुनव्वर अली साहिब | हार्दिक बधाई| 

सद्रे महफ़िल जला गया है मुझे ।
इस्मे शम्मा दिया गया है मुझे।।

ये न कह दे चरागे़ इश्क़ कहीं ।
एक हासिद बुझा गया है मुझे ।।

मेरा साया न छू सके उसको।
तीरगी में रखा गया है मुझे ।।

देख कर लोग मुस्कुराते हैं।
वो तमाशा बना गया है मुझे ।।

बावला हो के एक परवाना।
इश्क़ क्या है बता गया है मुझे ।।

वादी ए इश्क़ मिट के महकाना ।
गुल शिकस्ता सिखा गया है मुझे।।

उसके बख़्शे ग़मों के साये में ।
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"।।

चूम कर वो लबों से पेशानी ।
एक गौहर बना गया है मुझे ।।

अपनी कसमें खिला के मक़तल में।
बेवफा क्यों बुला गया है मुझे।।

शादमाँ दिल था जिसकी आमद पर।
हैफ़ वो हीं रुला गया है मुझे।।

रूठ कर "राज़" वो गया तो लगा।
छोड़ कर रब चला गया है मुझे।।

मौलिक/अप्रकाशित

बात बनी नहीं..... 

सदमा दिल था जिसकी आमद पर।
हैफ़ वो हीं रुला गया है मुझे।। !!!

गलती से "शादमा" की जगह "सदमा" लिख गया था.

जनाब विवेक 'राज़' साहिब आदाब,पहली बार आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ ।

बहुत उम्दा और मुरस्सा ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

इस्मे शम्मा दिया गया है मुझे'

इस मिसरे को यूँ कहें तो मुनासिब होगा:-

'इस्म शम्मा दिया गया है मुझे'

सदमा दिल था जिसकी आमद पर'

ये मिसरा बह्र में नहीं है,देखें ।

दर्द और शिक़ायती लहज़े में भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय विवेक राज साहिब।

जनाब विवेक राज साहिब,

उम्दा अश्आर निकाले आपने मुबारकबाद आपको,,

समर साहिब की मश्विरे पर गौ़र फ़रमाएँ,

लफ़्ज़ "शम्मा" सही नहीं है सही लफ़्ज़ "शम्अ" है,,


बावला हो के एक परवाना।
इश्क़ क्या है बता गया है मुझे ।।बहुत ही लाजवाब शे'र । इस शे'र में बहुत गहराई है , शायद परवाने समझ सकें ।

           शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय विवेक जी ।आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की इस्लाह का संज्ञान लें ।

मेरा साया न छू सके उसको।
तीरगी में रखा गया है मुझे ।।//  वाह क्या कहने, आ. विवेक राज साहिब इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आपको

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service