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नर्म लह्ज़े में बात की उनसे।
फिर भी पत्थर कहा गया है मुझे।।....वाह ! बहुत खूब.
आदरणीय अशफ़ाक अली साहब सादर, बहुत खुबसूरत गजल कही है आपने. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.
जनाब अशफ़ाक़ अली साहब बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई ।
नवीन जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
नर्म लहजे में बात की उनसे,
फिर भी पत्थर कहा गया है मुझे ।
बहुत खूबसूरत कहा है
मुबारक हो
सूबे जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणाीय गुलशन जी बाकमाल ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक बाद कुबूल करें हर शेर दिल को छूने वाला गिरह भी लाजवाब एक ही लफ्ज है इस गजल के लिए वाह
रवि शुक्ला जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
जनाब अशफाक अली साहब ..बाकमाल ग़ज़ल के लिए दाद कबूल फरमाएं
नर्म लह्ज़े में बात की उनसे।
फिर भी पत्थर कहा गया है मुझे।।...यह शेर मुझे बहुत पसंद आया|
राणा प्रताप सिंह आपका बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत ही उम्दा गजल हुई है आ० अशफाक़ अली साहिब, मुबारकबाद स्वीकार करें। जैसा कि मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब ने फरमाया, दूसरे और छठे शेअर पर दोबारा नज़रे सानी दरकार है।
योगराज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
मुशायरे के 100 वें अंक की शानदार बधाइयाँ। हर शेर लाजवाब। बिल्यकीं एक नया शब्द है, कृपया अर्थ बता दीजिए।
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