For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 164 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब सीमाब अकबरआबादी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'दो आरज़ू में कट गए दो इन्तिज़ार में'

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
221 2121 1221 212

मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मक़्फ़ूफ़ महज़ूफ़

रदीफ़ --में

क़ाफ़िया:-(आर की तुक) बे-क़रार, सोगवार,दाग़दार, बहार, यार आदि ।

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 23 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 फरवरी दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2042

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत बहुत शुक्रिया आ ग़ज़ल पर बारीकी से इस्लाह करने के लिए व की एवं कि का संशय दूर करने के लिए अच्छी जानकारी आपसे प्राप्त हुई ग़ज़ल में आपकी इस्लाह से और निखार आ जायेगा सहृदय शुक्रिया आ 🙏

आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

जी बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर हौसला अफ़ज़ाई के लिए 🙏

आए सुकून कैसे दिल-ए-बे-क़रार में

जलता है रात दिन ये तेरे सोगवार में …1

 

किस मुँह से दिल करूँ मैं भरोसे की बात जब  

हारा है तुझको मैंने सदा ए'तिबार में ...2

 

किरदार का करे है मेरे क़त्ल रात दिन

इक शख़्स ढूँढ़ता है मुझे है इश्तिहार में ....3

 

नाज़ों से इसको मैंने सँभाला था उम्र भर

अफ़सोस फिर भी दिल नहीं है इख़्तियार में...4

 

मंज़ूर था ख़ुदा को सो होकर रहा वही

ख़ुद हो गए शिकार वो मेरे शिकार में ....5

 

सोहबत में जब से आपकी आया हूँ मैं जनाब

होने लगा शुमार मेरा भी ख़यार में ...6

 

उम्र-ए- दराज़ ले के भला क्या करेंगे हम  

जब कुछ नहीं हमारे बचा इख़्तियार में ....7

 

कुछ इस तरह दिन अपने सफ़र के गुज़र गए

'’दो आरज़ू में कट गए दो इन्तिज़ार में'’… 8

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

तरही मिसरे पर ग़ज़ल की बेहतरीन कौशिश हुई है नादिर भाई। बहुत बधाई। गुणीजनों की सलाह का इंतज़ार रहेगा

आदरणीय नादिर ख़ान जी आदाब 

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।

आए सुकून कैसे दिल-ए-बे-क़रार में × को

जलता है रात दिन ये तेरे सोगवार में …1 

( तेरे सोग में, सोगवार में सहीह प्रयोग नहीं है )

किरदार का करे है मेरे क़त्ल रात दिन

इक शख़्स ढूँढ़ता है मुझे है× इश्तिहार में ....3

( कृपया स्पष्ट करें आप क्या कहना चाहते हैं )

नाज़ों से इसको मैंने सँभाला था उम्र भर

अफ़सोस फिर भी दिल नहीं है इख़्तियार में...4

( नाजों से की जगह मुश्किल से )

 

मंज़ूर था ख़ुदा को जो/सो होकर रहा वही

ख़ुद हो गए शिकार वो मेरे शिकार में ....5

सुहबत में जब से आपकी आया हूँ मैं जनाब

होने लगा शुमार मेरा भी ख़यार में ...6

           // शुभकामनाएँ //

आदरणीय नादिर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। सुझावों पर ग़ौर करें तो ग़ज़ल और बेहतर हो सकती है। 

आ. नादिर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। सुझाव भी अच्छे हैं। सादर।

आदरणीय नादिर जी नमस्कार

बहुत ख़ूब हुई है ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये,अमित जी के सुझाव

क़ाबिले ग़ौर हैं

सादर

ग़ज़ल के अशआर में कुछ संशोधन किया है कृपया अपने सुझाओ दें ..

 

माना बहुत से ऐब हैं इस (मुझ) ख़ाकसार में

लेकिन वफ़ा के फूल हैं मेरे दयार में ...1

 

किरदार का करे है मेरे क़त्ल एक शख़्स

जो ढूँढ़ता है मुझको फ़क़त इश्तिहार में....3

 

नाज़ों से इसको मैंने तो पाला था पर ये दिल

अफ़सोस है कि मेरे नहीं इख़्तियार में...4

 

पहला वाला मतला ठीक है। उसे ही सुधारने की कोशिश करें।

माना बहुत से ऐब हैं इस ख़ाकसार में

लेकिन वफ़ा के गुल भी हैं मेरे दयार में

माना बहुत से ऐब हैं (मुझ) ख़ाकसार में

लेकिन वफ़ा के गुल भी हैं दिल के दयार में

नाज़ों से इसको मैंने तो पाला था पर ये दिल

बिगड़ा हुआ है मेरे नहीं इख़्तियार में...4

( जैसे बहुत लाड प्यार से बच्चे बिगड़ जाते हैं वैसे ही

  दिल बिगड़ गया है मनमानी करने वाला बन गया है।

   मिसरे और साफ़ किए जा सकते हैं मैंने सिर्फ़

    मिसालें दी हैं )

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके पूर्वाग्रह-रहित, सहजता से दिए गए मूल्यवान सुझाव किसी भी सच्चे   रचनाकर्मी को अनुचित…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, आपके संचालन में इस मुशायरे का पहली बार आयोजन हुआ है. इस आयोजन में जिस उदार…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हार्दिक आभार आदरणीय।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय.. शुभ-शुभ"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"कभी-कभी परस्पर विश्वास में बात खुलकर रखने का साहस मिल जाता है और यहॉं जो सीखने-सिखाने की परंपरा रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए  आपको हार्दिक बधाईयाँ , गिरह खूब लगाई है , बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी रचनाधर्मिता ही नहीं, आपकी सदाशयता भी हमसभी के लिए अनुकरणीय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार , सलाह के अनुसार सुधार के लिए  प्रयास…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु भाई , आपने सही पहचाना , आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जो कुछ इस मंच से सीखा है, लिया है, उसका अंश मात्र भी लौटा सकूं तो स्वयं को धन्य मानूंगा आदरणीय। यह…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गुरप्रीत भाई , शारीरिक परेशानियों के चलते बहुत समय तक मंच से दूर रहा हूँ , अब फिर से प्रयास…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service