आदरणीय साथिओ,
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जी बिलकुल ... आदरणीय मिथिलेश जी कथा विषय से अपने आपको जोड़ नहीं पाई है और ये रचना का बहुत बडा दोष है .. वैसे मेरा उद्देश्य ये बताना ही था कि धारा का विरोध करने का दम भरने वाले कई नायक धीरे धीरे धारा से जुड़ने लगते हैं ..आपको कथा रोचक लगी ये जानकार ख़ुशी हुई सार्थक टिपण्णी और मार्ग दर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार
बहुत सुन्दर रोचक पौराणिक कथा जैसी लग रही है | इसके लिए बधाई हालाकि विषय में इस मै जोड़ नहीं पा रहा हूँ जो शायद मेरे समझ की ही कमी है |
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी, अच्छे से बुनी लघुकथा के लिए बधाई हो
बढ़िया कथानक को लेकर रोचक रचना विषय पर, बहुत बहुत बधाई आपको
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