आदरणीय साथिओ,
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सुंदर लघुकथा आदरणीया सविता मिश्रा जी
आ.सविता जी सार्थक रचना. देर आए दुरस्त आए. जब भी अपने किए का पछतावा हो और उसे भूल मानने का माद्दा तो सहयोग की भावना ही उसे उस गिल्ट से निकाल सकती है.
अच्छी लघु कथा है प्रिय सविता जी बहुत बहुत बधाई
प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया भावपूर्ण रचना है आ. सविता जी. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.
सादर अभिवादन के साथ आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |
प्रदत्त विषय का सफलता पूर्वक निर्वहन करती सार्थक लघुकथा . हार्दिक बधाई आदरणीया सविता जी
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