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अधिकतर सरकारी कर्मचारी कागज़ से हट कर नहीं जाते, लकीर के फ़कीर को परिभाषित करती बहुत ही बढ़िया लघुकथा कही है आदरणीय बबिता जी| Human Resource की किताबों में ऐसे लोगों को malicious obedient कहा गया है जो जैसे लिखा है उसके अलावा कुछ भी नहीं करते, लिखे का भावार्थ नहीं केवल अर्थ समझते हैं| इस रचना हेतु बधाई स्वीकार करें|
सही कहा आपने ,हमारे देश का गरीब तो बस आंकड़ों और फाइलों में बंद है ,बधाई आपको सशक्त रचना के लिए आ० बबीता जी
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है आपने ..सरकारी नियम के अंतर्गत भी ऐसे लूप होल छोड़ देते हैं जिसका फायदा अधिकारी गण उठा लेटे हैं शब्दों को तोड़मरोड़ कर पेश कर देते हैं इस लिए कोई भी नियम या परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए ताकि कोई अपने फायदे के लिए उसका दूसरा अर्थ निकाल ही न सके | बहुत बहुत बधाई बबीता जी ,इस सुन्दर सार्थक लघुकथा के लिए |
आदरणीया बबीता चौबे जी, यह बात कुछ जच नहीं रही जिसके पास आय का साधन नहीं होता है वह गरीबी की परिभाषा में नहीं आता है। लगता है कथा को भावनात्मक रूप देने के लिए कुछ अधिक ही हो गया है। लघुकथा अच्छी बन सकती है अगर इसे थोडा समय और दिया जाए।
कानून अंधे के साथ साथ गाफिल भी हो सकता है, उसका सुन्दर प्रमाण पेश किया गया है इस लघुकथा में I विषय में नयापन है और रचना की कसावट और सन्देश प्रभावशाली, हादिक बधाई प्रस्तुत है I
आदरणीय बबीता जी, नयापन लिए आपकी लघुकथा बहुत अच्छा प्रभाव देने में सफल सिद्ध हुई है। एक बार एक सरकारी उच्च अधिकारी ने बातों बातों में बताया कि कागज सच्चे है और आदमी झूठा अर्थात् जो कागजों में लिखा गया है सरकार उसी को सच मानती है। अापकी रचना यथार्थपरक है। मैं निजी पर ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो समर्थ होते हुए भी गरीबी से नीचे रेखा के 'पीले कार्ड' धारक है और जो बेचारे सचमुच पात्र है उन्हें ऐसी सुविधाएं नहीं मिलती । सादर शुभकामनाएं ।
आदरणीया बबिता जी, क़ानून के उपबंधों का कार्यपालकों द्वारा जैसा मखौल उड़ाया जा रहा है, उस पर तीखा प्रहार करती बहुत बढ़िया लघुकथा कही है आपने, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता जी!अच्छी लघुकथा लिखी गयी है!कथा का मकसद स्पष्ट है!पुनः बधाई!
गरीब की आय का पैमाना तय है पर आय तो फिर भी होनी ही चाहिए, बिल्कुल न हो यह भी नियम में नहीं लिखा है--क्या ही सुन्दर बात कही , इन नियम बनाने वालों की मानसिक गरीबी छाया ने आज एक असल गरीब को मोहताज कर दिया सहायता पाने से। सुन्दर लघुकथा आ. बबिता जी , बधाई।
आदरणीया बबिताजी, आपकी प्रस्तुति ने झन्ना दिया !
इस लघुकथा के होने पर हार्दिक बधाइयाँ
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