आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय रचना पर टिप्पणी के लिए दिल से शुक्रिया। एक छोटी सा सुधार करना चाहूंगा टिप्पणी में भाई जी। मैंने इस रचना में स्त्री की अपेक्षा उस पुरुष की पीड़ा को दर्शाना चाहा है जो स्त्री के गैर जिमेदाराणा रवैये से परेशान है।
अच्छी लघुकथा के लिए बधाई वीर जी
बढिया समस्या पर बढिया कथा लिखी आपने आ. वीरेंद्र वीर मेहता जी, अब यह प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा हैं।हार्दिक बधाई आपको
वाह, एक नए विषय पर बखूबी लिखा है आपने और शीर्षक भी बहुत बढ़िया है. हर चीज को समाज अलग अलग तरीके से देखता है और उसे स्त्री और पुरुष के लिए भिन्न नजरिये से सोचता है. बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए आ वीर मेहता जी
विचारोत्तेजक रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय वीरेन्द्र सरजी ।
नाइट ड्यूटी
“राहुल आज भी टिफिन नहीं लाये?कुछ खा कर आये या..?”मैडम कुछ कहती इससे पहले ही स्कूल की आया बोली,” रास्ते में इसकी माँ दिखाई दी थी,चमकीली साड़ी में,मेरे टोकने से पहले ही वो नज़र बचा खिसक ली।”आया की हंसी कुछ और भी बोल रही थी।
“मैडम,मां नाइट ड्यूटी करती है।”
कहाँ काम करती है माँ?
“बाबा की मौत के बाद माँ को बाबा के साहेब ने ही काम पर रख लिया”।
वो जो अकेले रहते हैं,दिन में उनके घर का काम तो कोई और करती है।”आया बीच में बोली।
“साहेब ने माँ को रात का काम दिया है”।माँ मुझे रात को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी,पर दिन का काम मिला ही नहीं”।
जाने क्यों मैडम ने रुआंसे राहुल को अपने से चिपटा लिया,और कहा,मां को कल से मेरे घर सफाई के काम के लिए भेज देना”।
“सच मैडम,फिर तो माँ रात को मेरे पास सोयेगी”।
मौलिक व अप्रकाशित
सुंदर रचना, आद: रचना भाटिया जी, प्रस्तुति में थोड़ा तीखापन और कसाव और बढाया जाये तो रचना और मारक बनेगी. हार्दिक बधाई रचना जी
आदरणीय
आदाब आदरणीया रचना भाटिया जी।.आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी की टिप्पणी और सुझाव पर ग़ौर फ़रमाइयेगा। रात को राहुल के पास कौन रहता था? मां वैसा करने को विवश क्यों थी? कुछ शब्दों में दोनों बातों के संकेत दिए जा सकते हैं।
आदरणीय शहजाद उस्मानी जी मैं आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ ।मैं आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी द्वारा दी सलाह अनुसार सुधार करने का पूरा प्रयास करूंगी ।
आदरणीय शहजाद उस्मानी जी मैंने स्पष्ट किया है कि पिता की मृत्यु के बाद कोई काम न मिलने के कारण उसे यह "ड्यूटी करनी पड़ी ।
जी,यह भी स्पष्ट किया है कि राहुल के पास रात में कोई नहीं होता था ।
आदरनिया रचना जी, आप जी की कोशिश को सलाम, मगर इस पर और काम किया जा सकता है।
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी हौसला अफजाई के लिए आपका अत्यंत आभार ।
जी, बताई गई कमियों को दूर करने का पूरा प्रयास करूंगी ।
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