For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ परिवार के युवा साहित्यकार अरुन अनन्त की दैहिक विदाई

 

पहले सींचा नेह से, बाद सौंप दी पीर ।

निकली मेरी प्रेम में, दगाबाज तकदीर ।।

अरुन अनन्त 

मोह का हर एक, धागा तोड़कर,
दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है,

मत बहाना हे प्रिये मोती नयन से,
जा रहा हूँ बाँध कर तुमको वचन से,
मुस्कुराहट, प्रेम, करुणा और सुख से,
जोड़कर रखना स्वयं को पूर्ण मन से,

छोड़ दो दामन, जुदाई का समय है,
दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है

याद रखना प्रेम की प्रिय भावनाएँ,
भूल जाना ये विरह की वेदनाएँ,
तय करो बाकी सफर हँसकर जगत में,
दे रहा हूँ मैं तुम्हें शुभकामनाएँ,

बंधनों से अब, रिहाई का समय है
दो मुझे अनुमति, विदाई का समय है

अरुन अनन्त

 

तुम्हे जाने की इतनी जल्दी क्या थी ? ऐसे कौन छोड़ जाता है ?

काश यह झूठ होता...

वह भी आत्म हत्या !!!

तुम इतने कमजोर तो नहीं थे..

कितनी प्यारी बिटिया है तुम्हारी,

कैसे जियेगी तुम्हारे बिन, यह भी न सोचा, निष्ठुर ! 

अरुन..  अनंत की यात्रा पर निकल गया ...

ईश्वर आपकी आत्मा को शांति प्रदान करें 

****

ओबीओ परिवार 

गणेश जी बाग़ी

Views: 2033

Reply to This

Replies to This Discussion

अत्यन्त दुःखद समाचार है।

मेरी संवेदनाएं परिजनों के साथ हैं।

मृतात्मा को श्रद्धांजलि। ईश्वर उन्हें चरणों में स्थान दें।

इस दुखद समाचार से स्तब्ध हूँ । ईश्वर दिवंगत आत्मा को मुक्ति एवं संतप्त परिवार को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। मृतात्मा को श्रद्धांजलि।

इस घटना ने १९९० के आसपास एक युवा व्यंग्यकार द्वारा अपने अधिकारियों कि निरंतर प्रताड़ना से विवश हो आत्महत्या का स्मरण हो आया...

विनम्र श्रद्धांजलि

बहुत दुःखद!

ईश्वर दिवंगत की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य व साहस प्रदान करें ।ॐ शान्ति !

सादर नमन

जब से समाचार मिला, स्तब्ध हूँ. किन परिस्थितियोंं ने मजबूर किया ऐसी दु:खद घटना को अंजाम देने के लिए न ही मैं जानता हूँ और न ही उस पर विमर्श का यह पल है. अरुन की दर्द में डूबी पंक्तियाँ बहुत कुछ कह रही हैं. नहीं, आपने जो किया उससे सहमत नहीं मैं. श्रद्धांजलि आपकी स्मृति को. शांति की तलाश में आप सफल हों, आपको अपनी मंज़िल मिले, यही कामना है.

विनम्र श्रद्धांजलि

अत्यंत दुःखद समाचार!

ईश्वर दिवंगत की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य व साहस प्रदान करें । विनम्र श्रद्धांँजलि ऊँ शान्ति !

ओह्ह दुःखद! विनम्र श्रद्धांजलि

अभी तक इस खबर को समझ नहीं पा रही हूं कि आखिर क्यों यह कदम उठाया।इंसान इतना टूट क्यों जाता है?

बहुत दुखद है यह खबर।

अत्यन्त दुखद । श्रद्धांजलि। 

अत्यंत दुखी कर देने वाला समाचार है. एक युवा साथी ऐसे गुपचुप चला जाए, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. ईश्वर प्रिय अरुण शर्मा अनंत को अपने श्री चरणों में स्थान दे व परिवारजनों को यह आघात सहने की शक्ति प्रदान करे. विनम्र श्रृद्धांजलि 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
20 minutes ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service