परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 70 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह शायर-ए-इन्किलाब जनाब जोश मलीहाबादी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"जिसे हो जुस्तजू अपनी वो बेचारा किधर जाए"
1222 1222 1222 1222
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 23 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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मोहब्बत में कोई दीवाना ऐसा काम कर जाए
किसी की याद को लेकर जिए वो और मर जाए
जरा देखो तो आंखें खोल कर तुम उसकी कुदरत को
दिखाई सब तुम्हें देगा जहां तक ये नजर जाए
बहुत खूब ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय । मुझे यह अशआर पसंद आये ।
बहुत ख़ूब ..उम्दा ग़ज़ल कही है आपने...बधाई
.
अगर हर वक्त रखो याद तो किस्मत संवर जाए...रखो को रक्खो करने से मिसरा बहर में आ जाएगा
सादर
आदरणीय हाफ़िज़ भाई , इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल फरमाइये ।
खुदा के कहर से इन्सां अगर दुनिया में डर जाए
हर एक लम्हा यकीनन जिंदगानी का सवंर जाए -- आज इसी सोच ही ज़रूरत है , क्या बात है -- दाद हाज़िर है इस शे र के लिये ।
आ. नीलेश भाई जी का इशारा सही है , ख्याल कीजियेगा ।
वाह वाह मसऊद साहब.... क्या शानदार ग़ज़ल कही है आपने.... दिली मुबारकबाद !!!
जनाब हफीज़ महमूद साहिब आदाब , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , शेर दर शेर मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
जनाब हाफ़िज़ मसऊद जी,आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
"अगर हर वक्त रखो याद तो किस्मत संवर जाए"
इस मिसरे में 'रखो' को "रक्खो" कर लीजिये,मिसरा लय से भटक रहा है ।
ग़ज़ल उम्दा हुई है आ० हाफिज मसूद साहिब, मगर छठे शेअर में सानी में "जब" का दोहराव मदमजगी पैदा कर रहा है। बहरहाल दिली दाद हाज़िर है।
आ0 हाफ़िज़ भाई , इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये बहुत बहुत मुबारकबाद l
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