आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 70 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-71
विषय - "कर्म"
आयोजन की अवधि- 9 सितम्बर 2016, दिन शुक्रवार से 10 सितम्बर 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 9 सितम्बर 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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बढ़िया कविता हुई है आपकी आदरणीय | बधाई स्वीकारें |
मोहतरम जनाब बोधि सत्व साहिब ,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बहुत खूब कस्तूरिया जी, अच्छी अभिव्यक्ति हैI बधाई प्रेषित हैI
(रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.)
शर्मा जी जूते बनाते,
कर्दम जी की है फर्म!!
गुणवत्ता कैसे आए ?.... कर्म को वर्ण व्यवस्था से जोड़कर परिभाषित किया है...मनुवाद का भी जिक्र है ...अच्छी कविता के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बोधिसत्व जी
आदरनीय बोधिसत्व भाई , विषय सार्थक कारती अच्छी कविता हुई है , हार्दिक बधाई आपको ।
आदरणीय बोधिसत्व कस्तूरिया जी, आयोजन में आपका स्वागत है. इस प्रयास और आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई. आपकी किसी पहली प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. यह भी है कि साहित्यिक रचनाएँ संकेतों और प्रतीकों में बात करती है तो ज्यादा प्रभावशाली लगती है और उसका सौन्दर्य भी निखर जाता है. अन्यथा वह बात कितनी ही तार्किक हो, एक "चीखता हुआ नारा" बनकर रह जाती है. संभवतः मैं अपनी बात स्पष्ट का सका हूँ. सादर
प्रदत्त विषय पर सुंदर प्रस्तुति . बधाई सर .
पांच दोहे... कर्म
ज्यों तन जीवन के लिए, होय जरूरी कर्म|
त्यों मन आत्मा के लिए ,आवश्यक सत्कर्म||
धर्म बड़ा या कर्म है, जान मनुज ये सार|
राह सुझाता धर्म है, कर्म लगाता पार||
डूबी आशा की किरण,बैठा माथा टेक|
जीवन में होगा सफल,कर्म करे जो नेक||
बाँचो कर्म कुकर्म में, पाप पुण्य का फर्क|
एक भेजता स्वर्ग में, दूजा भेजे नर्क||
खुशियाँ अच्छे कर्म दें,बुरे कर्म संताप|
करने से पहले गुणें ,हो ना पश्चाताप||
मौलिक एवं अप्रकाशित
आवश्यक सूचना:-
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